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Resistor क्या है? Resistance क्या है? जानिए हिंदी में?

आइये जानते है Resistor क्या होता है तथा यह कितने प्रकार के होते है, सरल भाषा हिंदी में?

फ्रेंड्स हम सभी जानते है कि हमारी इलेक्ट्रॉनिक्स की दुनिया कई सारे कॉम्पोनेन्ट जैसे- Resistor, Capacitor, Transistor, MOSFET, Diode, Transformer इत्यादि से मिलकर बना है और सभी कॉम्पोनेन्ट की अपनी अलग-अलग कार्य तथा विशेषताएँ होती है जिसके आधार पर किसी सर्किट का निर्माण किया जाता है। इन्ही सभी कॉम्पोनेन्ट में से एक कॉम्पोनेन्ट है "Resistor" जो इलेक्ट्रॉनिक्स का सबसे महत्वपूर्ण कॉम्पोनेन्ट है, पर क्या आपको पता है कि ये रजिस्टर क्या होता है, रजिस्टर कितने प्रकार के होते है, सर्किट में इसके कार्य क्या होते है, वगैरह-वगैरह। ऐसे में यदि आप भी रेसिस्टर से संबंधित जानकारियों को प्राप्त करने के लिए यहां तक आएं है तो आप सही जगह है क्योंकि आज हलमलोग इस आर्टिकल में Resistor के बारे में ही विश्लेषण करने जा रहे है, इसलिए आपसे आग्रह है कि पूरी आर्टिकल को ध्यानपूर्वक पढ़ें....

Resistor क्या है ? What is resistor in hindi?

Resistor kya hai?

Resistor अर्धचालक धातु (Conductor+Insulator) से बनी हुई एक Passive Electronics Component है. जिसका मुख्य काम Current Flow में (Resistance) रुकावट पैदा करना होता है. यह इलेक्ट्रॉनिक सर्किट का एक सबसे महत्वपूर्ण Component होता है. Resistor की Value को हम Ohms में मापते है और यही वैल्यू इसकी Resistance Capacity को दर्शाता है. Resistor के आगे करंट का बहाव कितना होगा यह उसके Resistance पर निर्भर करता है. जिस Resistor की वैल्यू जितनी ज्यादा होती है उसके आगे Current का Flow उतना कम हो जाता है अर्थात Resistor की वैल्यू कम रहने पर वह करंट बहाव में कम प्रतिरोध स्थापित करेगा और वैल्यू अधिक रहने पर वह अधिक प्रतिरोध स्थापित करेगा.


Denoting Letter Of Resistor = R
Circuit Symbol = Zigzag Line तथा Rectangular  Shape के साथ दोनों ओर निकली हुई सीधी Line होती है.

Resistor circuit symbol

रेजिस्टेंस क्या है? What Is Resistance In Hindi?

इलेक्ट्रॉनिक के टर्म में कुछ लोग Resistor को Resistance भी कहते है, पर वास्तव में करंट के मार्ग में रेजिस्टेंस बनाना इसका कार्य होता है, और बात करे रेजिस्टेंस क्या होता है तो रेजिस्टेंस - किसी भी सर्किट में Flow होनेवाली करंट के मार्ग (चालक) में उत्पन्न होनेवाली बाधा को Resistance कहते है.
कई बार आपने देखा होगा कि जब किसी वायर के माध्यम से दूर तक पावर भेजा जाता है तो वायर के अंतिम सिरे पर कुछ वोल्टेज कम हो जाता है, ऐसा उस वायर के रेजिस्टेंस के कारन ही होता है.
  • सभी चालक की अपनी एक रेजिस्टेंस क्षमता होती है.
  • AC की तुलना में DC में रेजिस्टेंस ज्यादा प्रभावी होता है.
  • मोटे चालक के उपेक्षा पतले चालक में Resistance ज्यादा उत्पन्न होती है.
  • सबसे कम रेजिस्टेंस वाला चालक Gold (सोने) है, इसलिए इसे Super Conductor भी कहा जाता है.

रेजिस्टेंस की इकाई क्या होती है?

रेजिस्टेंस की इकाई ओम (Ω) होती है. जिसे ओम मीटर से मापा जाता है. रेजिस्टेंस की सबसे छोटी इकाई माइक्रो-ओम, मिली-ओम है तथा बड़ी इकाई किलोओम (KΩ) तथा मेगाओम (MΩ) हैं.
Unit Of Resistor = Ω (Ohms) 
1000 Ω = 1 K Ω (Kilo Ohm) 
1000 KΩ = 1 M Ω (Mega Ohm) 

डिजिटल मल्टीमीटर की सहायता से Resistor की Value कैसे चेक करें?

Resistor की Ohm Value तथा Ok अथवा Faulty Condition को हम Digital Multimeter की सहायता से मापते है. इसके लिए Multimeter को Ohm की रेंज में सेलेक्ट करके इसके दोनों Probe को रेसिस्टर के दोनों सिरों से टच करने पर Multimeter Display पर कुछ Number दिखता है जो उस Resistor की Value होती है. 

How To Measure Resistor Value

Resistance Color Code प्रणाली क्या है?

Resistor की वैल्यू ज्ञात करने के लिए एक Standard Color Code प्रणाली का प्रयोग किया जाता है. इस कलर कोड प्रणाली में 0 से लेकर 9 तक की संख्या के लिए एक निश्चित कलर निर्धारित किया गया है. और यही कलर कोड प्रत्येक रेसिस्टर पर रंगों की धारियां के रूप में बनी होती है जिसकी मदद से किसी भी रेसिस्टर की वैल्यू ज्ञात की जाती है. कुछ रेसिस्टर ऐसे भी होते है जिसपर सीधे उसकी वैल्यू लिखी होती है ऐसे रेसिस्टर की वैल्यू हमें आसानी से प्राप्त हो जाती है. परन्तु जिसमे केवल कलर की धारियां बनी होती है उसकी वैल्यू हमें Color Code Chart के अनुसार Calculation करके प्राप्त करना पड़ता है.

Resistor Color Code Chart-
Resistor color code chart

Color Code प्रणाली से Resistor की वैल्यू ज्ञात करने के कुछ महत्वपूर्ण नियम तथा शर्तें :-

  • किसी भी रेसिस्टर में कम से कम 3 Color तथा अधिक से अधिक 6 Color होती है.
  • किसी भी रेसिस्टर का पहला कलर कभी भी कला, गोल्डन या सिल्वर नहीं हो सकता है.
  • गोल्डन या सिल्वर कलर हमेशा पहले से दो कलर के बाद ही आती है.
  • चार बैंड, पांच बैंड वाले रेसिस्टर की अंतिम बैंड तथा छः बैंड वाली रेसिस्टर की पांचवी बैंड उसकी टॉलरेंस बताती है. टॉलरेंस अर्थात उस रेसिस्टर की टोटल वैल्यू में होनेवाले वेरिएशन. यानि जिस रेसिस्टर की जितनी प्रतिशत टॉलरेंस होगी उसमे उतनी % वैल्यू कम अथवा ज्यादा हो सकता है.
  • किसी भी रेसिस्टर की टॉलरेंस उसके निर्माण में लगे Material तथा Temperature Coefficient पर निर्भर करता है.
  • किसी भी रेसिस्टर की प्राप्त हुई प्रथम वैल्यू Ohm (Ω) में होती है फिर उसे रेजिस्टेंस की Unit के अनुसार Kilo Ohm अथवा Mega Ohm में convert किया जाता है.

Tolerance क्या है?

Resistor की कुल वैल्यू में से होनेवाली थोड़ी बहुत वेरिएशन अर्थात चढ़ाव उतार को टॉलरेंस कहा जाता है. रेसिस्टर में यह टॉलरेंस अधिकतम 20% तक पाया जाता है. किसी भी रेसिस्टर की टॉलरेंस उसके निर्माण में प्रयोग किये गए मटेरियल पर निर्भर करता है.

Resistor की वैल्यू निकलने के नियम:-

Three Color Band वाले रेसिस्टर के लिए पहले से दो कलर की संख्या ज्यों की त्यों लिखी जाती है फिर तीसरी बैंड Multiplier होती है. जिससे गुणा करके जो भी वैल्यू प्राप्त होती है वह वैल्यू ओम में प्राप्त होती है.
जिस रेसिस्टर में चौथा बैंड नहीं होता है उसकी Tolerance हमेसा 20% होती है.
Three color band resistor
Four Color Band वाले रेसिस्टर के लिए पहले से दो कलर की वैल्यू ज्यों की त्यों लिखी जाती है. तीसरी बैंड Multiplier होती है तथा चौथी बैंड उस रेसिस्टर की टॉलरेंस बताती है.
नोट- चार कलर बैंड वाले रेसिस्टर में यदि तीसरा कलर काला है तो उसकी संख्या नहीं लिखी जाती है.
Four color band resistor
Five Color Band वाले के लिए पहले से तीन बैंड की संख्या ज्यों की त्यों लिखी जाती है. चौथी बैंड Multiplier होती है तथा पांचवी बैंड उसकी टॉलरेंस बताती है.
Five color band resistor
Six Color Band वाले रेसिस्टर के लिए पहले से तीन कलर की संख्या ज्यों की त्यों लिखी जाती है. चौथी बैंड Multiplier होती है और पांचवी बैंड उसकी टॉलरेंस बताती है तथा छठी बैंड इसकी Temperature Coefficient बताती है.
Six color band resistor

Temperature Coefficient Of Resistance (TCR) क्या है?

तापमान परिवर्तन के कारण प्रति डिग्री सेल्सियस के अनुरूप प्रतिरोध परिवर्तन को Temperature Coefficient Of Resistance कहा जाता है. TCR को PPM (Part Per Million) से सूचित किया जाता है.

जैसे किसी Resistor वैल्यू 1MΩ है और उसका TCR 100PPM है तो इसका मतलब होता है उस रेसिस्टर की नार्मल टेम्परेचर से 1० c टेम्परेचर बढ़ने पर 100 PPM यानि 0.01% रेजिस्टेंस बढ़ जायेगा.

PPM का मतलब होता है Part Per Million अर्थात 10 लाख भाग का एक भाग.

इस PPM को प्रतिशत में इस प्रकार बदलेंगे जैसे- 100PPM के लिए  100/1000000*100 = 0.01%

नोट- कुछ रेसिस्टर ऐसे होते है जिसपर एक Alphanumeric कोड लिखे होते है जो उस रेसिस्टर की वैल्यू को दर्शाते है. वो कोड इस प्रकार है- E45=0.45Ω, R45=0.45Ω, 47E=47Ω, 47R=47Ω, 1E0=1Ω, 1R0=1Ω, 1K0=1KΩ, 10K=10KΩ, 10M=10MΩ
ऐसे Alphanumeric Code वाले रेसिस्टर की टॉलरेंस दर्शाने के लिए भी अंग्रजी के कुछ अक्षरों का प्रयोग किया जाता है. जिसकी टॉलरेंस इस प्रकार है- F= ±1%, G= ±2%, J= ±5%, K= ±10%, M= ±20%
Alphanumeric code resistor

Resistor कितने प्रकार के होते है? Types Of Resistor In Hindi?

Carbon Resistor- 
carbon resistor

यह रेसिस्टर Carbon तथा Conductor Material के Combination से बना सबसे सामान्य रेसिस्टर होता है. इसको Carbon Composition Resistor भी कहते है. जिसके ऊपर कुछ Color Line बनी होती है जो इसकी Color Code होती है. इस रेसिस्टर की वैल्यू इसके ऊपर बने Color Code पर निर्भर करता है. कार्बन रेसिस्टर की Tolerance ±5% से 20% तक होती है और यह इसकी अंतिम कलर पर निर्भर करता है. इस रेसिस्टर के दोनों और Matellic Pin निकली हुई रहती है जिसकी सहायता से इस रेसिस्टर को किसी भी इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में लगाये जाते है. कार्बन रेसिस्टर का उपयोग लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में किये जाते है.

Wire Wound Resistor- 
wire wound resistor

यह रेसिस्टर वैसा रेसिस्टर होता है जिसको Ceramic, Plastic अथवा Fiberglass Core के ऊपर Resistive Wire को लपेटकर बनाया जाता है. यह Wire ज्यादातर Tungsten, Nichrome या Nickel के बने के बनी होती है. यह रेसिस्टर 2 वाट से लेकर 100 वाट से भी ज्यादा Capacity तक के होते है तथा High Temperature पर भी अच्छी तरह कार्य करता है. इस रेसिस्टर की एक Disadvantage है की इसे High Frequency वाले उपकरण में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. 

Fusable Resistor- 
fusable resistor

यह रेसिस्टर Normal तथा SMD दोनों टाइप में पाए जाते है. इसकी वैल्यू 0 ओम से लेकर 0. कुछ ओम तक होती है जो एक Fuse के सामान कार्य करता है. इस रेसिस्टर को Circuit Protection तथा Supply या Signal Filteration के उद्देश्य से लगाया जाता है.

Veriable Resistor- 
veriable resistor

जिस रेसिस्टर की वैल्यू को Manualy कम या ज्यादा किया जा सके उस रेसिस्टर को Veriable Resistor कहते है. इस रेसिस्टर में एक नोब लगी होती है या स्क्रू के सामान एक कट बनी होती है जिसको घुमाकर इसके Value को कम या ज्यादा किया जाता है. इस रेसिस्टर का सबसे आसान उदहारण है Radio-TV या Music System में लगे Moveavle Volume. 

SMT (Chip) Resistor- 
smt resistor

SMT जिसका मतलब होता है Surface Mount Technology जिससे बने कॉम्पोनेन्ट को SMD- Surface Mount Device भी कहते है. अर्थात ऐसा रेसिस्टर जिसे सीधे Circuit Board के Surface पर चिपकाया जा सके. यह Resistor आकर में बहुत ही छोटे होते है और इस रेसिस्टर के दोनों ओर Matellic Print बने होते है और यही Matellic Print इसका Soldring Part होता है. इस रेसिस्टर की वैल्यू इसके ऊपर लिखे Alphanumeric Digit से पता करते है तथा कुछ रेसिस्टर ऐसे भी होते है जिसमे कुछ भी नहीं लिखे रहते है. इसकी वैल्यू निर्माण के समय तय किये गए है जिसको Cheak करके पता किया जा सकता है. SMT रेसिस्टर की Tolerance ±5% तक ही होती है. इस रेसिस्टर को सीधे सर्किट बोर्ड पर चिपका दिया जाता है. यह रेसिस्टर ज्यादातर SMD Type PCB में पाए जाते है. वैसे आजकल के सर्किट में ज्यादातर Surface Mount Technology से ही बने Resistor का उपयोग किया जाता है. 

Network Resistor(Package Resistor)-
network resistor

यह रेसिस्टर वैसा रेसिस्टर होता है जिसके अंदर एक से अधिक रेसिस्टर को एक साथ Parallel या Series के Combination से एक पैकेज बनया गया होता है जिसे Network Resistor कहते है. इसकी पैकेज में लगे सभी रेसिस्टर अपना कार्य ठीक वैसे करते है जैसे कही भी Parallel, Series या Series Parallel के Combination से बने Resistor Circuit करते है. इस रेसिस्टर को Cheak करने के लिए इसके पैकेज में लगे सभी रेसिस्टर के पिनों की वैल्यू को बारी-बारी से Cheak करना पड़ता है. इस रेसिस्टर का इस्तेमाल ज्यादातर डिजिटल सर्किट में किया जाता है.

Light Dependent Resistor(LDR)- 
light dependent resistor

यह रेसिस्टर एक ऐसा रेसिस्टर होता है जिसकी Resistance Capacity प्रकाश पर निर्भर करती है. इसके ऊपर जितनी तीव्र प्रकाश पड़ती है उतनी ज्यादा इसकी रेजिस्टेंस High हो जाती है इसके विपरीत धीमा प्रकाश या अँधेरे में इसकी रेजिस्टेंस Low हो जाती है. यह एक Sensor की तरह कार्य करता है. इसका उपयोग Autometic Light Dependent Circuit बनाने में किया जाता है. जैसे- Street Light Circuit

Resistor का संयोजन? Combination Of Resistor In Hindi?


सर्किट में रेजिस्टेंस की इच्छा अनुसार वैल्यू प्राप्त करने के लिए रजिस्टेंस को तीन प्रकार से जोड़ा जाता है। जिसे रेजिस्टेंस का संयोजन (Combination) कहते हैं.

Series Combination-

series combination of resistor

इस प्रकार की Combination तब की जाती है जब Resistor की वैल्यू बढ़ानी हो. इस क्रिया में एक से ज्यादा रेसिस्टर को क्रम में एक दुसरे के आगे पीछे जोड़ा जाता है.

Parallel Combination-

parallel combination of resistor

इस प्रकार की Combination तब की जाती है जब Resistor की वैल्यू कम करनी हो. इस क्रिया में सभी रेसिस्टर को एक दुसरे के समानान्तर जोड़ा जाता है.

Series Parallel Combination-

series parallel combination of resistor

इस Combination में Series तथा Parallel दोनों तरह के Combination की मदद से उचित वैल्यू प्राप्त किया जाता है. इस सर्किट की वैल्यू भी दोनों फार्मूला के हेल्प से ज्ञात की जाती है.

इन्हें भी देखें:→

Conclusion:
फ्रेंड्स Resistor इलेक्ट्रॉनिक जगत का एक सबसे महत्वपूर्ण कॉम्पोनेन्ट है और इस पोस्ट में हमने रेसिस्टर के बारे में बिलकुल सरल भाषा में चर्चा की है, हमें उम्मीद है की हमारे द्वारा Resistor के बारे में दी गयी यह जानकारी आपको बहुत अच्छी तरह समझ में आई होगी तथा इस लेख के माध्यम से आपको कुछ सिखने को मिला होगा, फिर भी किसी प्रकार की कोई कंफ्यूजन रह गयी हो तो कमेंट के माध्यम से पूछ सकते है। यह आर्टिकल आपको कैसी लगी इसकी फीडबैक कमेंट के माध्यम से जरूर दें, साथ ही अगर यदि यह आर्टिकल आपको पसंद आई हो तो अपने सोशल हैंडल पर शेयर जरुर करें। इसी तरह की और भी आर्टिकल पढ़ते रहने के लिए Comtechinhindi.IN से जुड़े रहें. धन्यवाद!

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