डायोड क्या है? What is diode in hindi? जानिए डायोड के बारे में वो सब कुछ जो आप जानना चाहते है?
फ्रेंड्स जैसा कि हमलोग जानते जानते है कि हमारे इलेक्ट्रॉनिक्स और फिजिक्स विषय में एक चैप्टर है "सेमीकंडक्टर इलेक्ट्रॉनिक्स" जिसका एक टॉपिक है डायोड जो इलेक्ट्रॉनिक्स में यूज़ किया जानेवाला एक महत्वपूर्ण सेमीकंडक्टर कॉम्पोनेन्ट है, पर क्या आपको पता है कि डायोड क्या होता है, डायोड कैसे काम करता है, डायोड कितने प्रकार के होते है, डायोड के उपयोग क्या है, अगर हां तो बहुत ही अच्छी बात है नहीं तो अभी आप जानने वाले है क्योंकि आज हमलोग इस टॉपिक में डायोड के बारे में ही विश्लेषण करने जा रहे है इसलिए आपसे आग्रह है कि पूरी आर्टिकल को ध्यानपूर्वक पढ़ें….डायोड क्या है? Diode kya hai?
डायोड P Type तथा N Type Semi-Conductor Material (Silicon या Germanium) से बना एक इलेक्ट्रॉनिक्स कॉम्पोनेन्ट है जो इलेक्ट्रिक करंट को केवल एक ही दिशा में फ्लो होने कि अनुमति देता है, जिस कारण इससे पार होकर आगे फ्लो होनेवाले करंट हमेशा DC होते है।इसकी आंतरिक संरचना कुछ ऐसी होती है....
एक सिंगल डायोड के आधे हिस्से में Positive Type Charge Carrier Particle होते है और आधे हिस्से में Negative Type Charge Carrier Particle होते है। इन दोनों के कॉम्बिनेशन से बीच में एक Potential Barrier उत्पन्न होता है जिसे Depletion Region कहा जाता है और इसी Depletion Region की कंडीशन पर निर्भर करता है कि इससे होकर करंट फ्लो होगी अथवा नहीं।एक सिंगल PN Junction डायोड में दो टर्मिनल होते है जिसकी Positive साइड के हिस्से को Anode तथा Negative साइड का हिस्से को Cathode कहा जाता है।
डायोड कैसे कार्य करता है? Diode kaise karya karta hai?
डायोड दो Bias पर कार्य करता है:-
Forward Bias:-
Reverse Bias:-
इसे अच्छी तरह इस प्रकार समझते है.......
जब डायोड के एनोड टर्मिनल को बैटरी के पॉजिटिव टर्मिनल तथा डायोड के कैथोड टर्मिनल को बैटरी के नेगेटिव टर्मिनल के साथ जोड़ा जाता है तब इससे होकर करंट प्रवाहित हो जाती है, डायोड की यही स्तिथि Forward Biasing कहलाती है।
जब डायोड की नेगेटिव टर्मिनल को बैटरी के पॉजिटिव टर्मिनल के साथ तथा डायोड की पॉजिटिव टर्मिनल को बैटरी के नेगेटिव टर्मिनल के साथ जोड़ा जाता है तो इससे होकर करंट प्रवाहित नहीं होती है, डायोड की यही स्तिथि Reverse Biasing कहलाती है।
डायोड के कार्य? Diode ke karya?
- Rectification
- Protection
- Switching
- Voltage Regulator
- Sensing
- Signalling
Rectification- रेक्टिफिकेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे डायोड की मदद से किसी करंट को Purify किया जाता है। जैसे- AC को DC में बदलना
Protection- डायोड की Forward Biasing तथा Reverse Biasing नेचर के कारण इसका यूज़ किसी भी इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस में Protection Circuit बनाने में भी किया जाता है।
Switching- Diode की मदद से किसी भी सर्किट में Switching Logic क्रिएट किया जा सकता है। जैसे- किसी एक ट्रैक पर करंट आ रहा हो तो दूसरा ब्लाक कर दिया जाय।
Voltage Regulator- डायोड का उपयोग वोल्टेज को रेगुलेट करने के लिए भी किया जाता है, इसके अलावा कुछ डायोड ही ऐसे होते है जिसका काम वोल्टेज को Limit करना होता है। जैसे- Zener Diode
Sensing- कुछ डायोड ऐसे होते है जो सर्किट में एक सेंसर की तरह कार्य करते है। जैसे- Photo Diode
Signalling- यह एक ऐसी क्रिया है जिसमे डायोड प्रकाश छोड़कर Power Logic के High अथवा Low होने की संकेत देता है। इस कार्य के लिए जो डायोड लगाये जाते है उसे LED कहा जाता है।
डायोड का उपयोग कहाँ किया जाता है? Diode ka use kaha kiya jata hai?
वैसे सामान्य तौर पर देखा जाय तो डायोड का उपयोग लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस के सर्किट में वैसे स्थान पर किया जाता है जहाँ AC को DC में बदलने की जरुरत हो, Circuit Protection की जरुरत हो, Auto Switch की तरह कार्य करवानी हो इत्यादि।
डायोड कितने प्रकार के होते है? Diode kitne prakar ke hote hai?
- Normal Rectifier Diode (P-N Junction Diode)
- Schottky Diode
- Light Emitting Diode
- Laser Diode
- Photo Diode
- Package Bridge Rectifier Diode
- SMD Diode
- Tunnel Diode
- Zener Diode
- Varactor Diode
Normal Rectifier Diode (P-N Junction Diode):
यह P Type तथा N Type सेमीकंडक्टर मटेरियल से Cylindrical Shape में बना डायोड होता है, जिसे P-N जंक्शन डायोड या रेक्टिफायर डायोड कहा जाता है। यह देखने में काले रंग का होता है, इसमें दो टर्मिनल निकले होते है जिसमे एक Anode तथा दूसरा Cathode होते है जिसके बॉडी पर पहचान के लिए Cathode साइड में एक Silver Line सिंबल बना होता है, जिसके विपरीत इसका Anode Terminal होता है।
इसका उपयोग लगभग हर एक इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस में किया जाता है, यह अलग-अलग Number के होते है जिसका Ampere Range अलग-अलग होता है।
Schottky Diode:
यह मुख्य रूप से दो Same Value के डायोड के इंटरनल कॉम्बिनेशन से बना एक सिंगल डायोड होता है जिसे Schottky Diode कहा जाता है। इसकी Junction धातु की बनी होती है जिस कारण यह वोल्टेज को बहुत ही काम ड्राप करता है, इसलिए यह करंट को बहुत ही तेजी से पास करता है। इसकी आकार बड़ी होती है तथा इसमें तीन टर्मिनल निकले होते है जिसमे साइड के दोनों पिन Anode तथा बीच वाली पिन Cathode होते है। इस डायोड का नाम जर्मनी के Physicist Walter H. Schottky के नाम पर रखा गया है।
इस डायोड का उपयोग हाई फ्रिक्वेंसी वाले सर्किट में रेक्टिफिकेशन के लिए किया जाता है।
Light Emitting Diode:
यह एक ऐसा डायोड है जिससे होकर करंट प्रवाहित होने पर प्रकाश उत्पन्न होता है जिसे सेंक्षेप में LED कहा जाता है।
Laser Diode:
यह डायोड LED के तरह ही कार्य करता है परंतु इसमें मुख्य अंतर यह है कि ये एक सामान्य प्रकाश के बजाय Laser Beam बनाता है। इसे Injection Laser Diode के नाम से भी जाना जाता है।
इसका इस्तेमाल Optical Fiber Communication System, Laser Printer, DVD Drive, Barcode Reader इत्यादि में किया जाता है।
Photo Diode:
यह एक स्पेशल टाइप डायोड होता है जो सेंसर की तरह कार्य करता है। यह डायोड प्रकाश के Photon Energy पर निर्भर होकर कार्य करता है जो सामान्य अवस्था में Reverse Bias में रहते हुए करंट को ब्लॉक करता है पर जब इसपर उचित फोटोन एनर्जी वाली प्रकाश डाला जाता है तो यह Forward Bias में आ जाता है और करंट फ्लो को पास कर देता है।
इसका उपयोग सर्किट में Power Logic Create करने में किया जाता है।
Package Bridge Rectifier Diode:
यह चार PN Junction डायोड के कॉम्बिनेशन को एक ही पैकेज में मिलकर बनाया गया Bridge Diode है जिसे Package Bridge Diode कहा जाता है। इसे AC को DC में बदलने के काम में लिया जाता है जो Full Wave Rectification करता है, जिस कारण इससे होकर High Ampere की करंट फ्लो होती है। इसमें कुल चार टर्मिनल होते है जिसमे दो AC Input के लिए और दो DC Output के लिए।
इसका उपयोग वैसे स्थानों पर किया जाता है जहाँ उच्च वोल्टेज के साथ उच्च एम्पेयर की जरुरत होती है। जैसे- SMPS, Inverter, UPS, Welding Machine Etc.
SMD Diode:
यह Surface Mount Technology आधार पर बनाया गया डायोड है जो आकार में बहुत ही छोटी होती है, परंतु इसके कार्य की बात करें तो यह भी एक सामान्य डायोड की तरह कार्य करता है। इसकी एफिशिएंसी भी बहुत ही अच्छी होती है। यह डायोड भी कई Shape में पाए जाते है पर आकार में सामान्य डायोड से बहुत ही छोटी होती है। Digital Electronics में इसी डायोड का उपयोग किया जाता है।
आज के आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस जैसे- Mobile, Laptop, LED TV, LED Bulb इत्यादि के साथ-साथ जितने भी Smart Device है उसमे ज्यादातर इसी डायोड का उपयोग किया जाता है।
Tunnel Diode:
यह डायोड भी एक PN Junction Diode ही होता है परन्तु इसमें P Type और N Type सेमीकंडक्टर से बनी की परतें अधिक मात्र में डोपिंग किये हुए रहते है (सामान्य डायोड से करीब 1000 गुणा ज्यादा) जिस कारण इसमें बनने वाली जंक्शन (Depletion Region) की मोटाई बहुत ही कम हो जाती है, यही कारण कि कुछ इलेक्ट्रान जो जंक्शन पर होने के लिए प्रयाप्त उर्जा नहीं रखते वे भी इतने पतले जंक्शन को पार कर जाते है। इससे होकर करंट पास होने पर इसमें Negative Resistance गुण पैदा होता है, अर्थात वोल्टेज के बढ़ने पर करंट का प्रवाह कम हो जाता है तथा इसकी Switching क्षमता High होती है।
इस डायोड का उपयोग Amplification, Oscillation, Switching इत्यादि के लिए किया जाता है।
Zener Diode:
यह एक ऐसा डायोड है जो करंट को (फॉरवर्ड बायस तथा रिवर्स बायस) दोनों दिशाओं में बहने की अनुमति देते है, परन्तु जब यह फॉरवर्ड बायस में होता है तब यह आदर्श डायोड की तरह आगे की दिशा में धारा को बहने देता है जब वोल्टेज,ब्रेकडाउन वोल्टेज से अधिक हो जाता है तो यह करंट को उलटी दिशा में बहने की अनुमति भी देता है। रिवर्स बायस में यह Linear Voltage regulater की तरह कार्य करता है।
इस डायोड का उपयोग मुख्य रूप से Voltage regulator Circuit में Voltage को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
Varactor Diode:
यह एक ऐसा डायोड है जो कैपेसिटर की तरह कार्य करता है जिसका काम चार्ज को स्टोर करना होता है, अंतर केवल इतना है की कैपेसिटर में दो प्लेटें होती है जिसकी दुरी निर्धारित करके Capacitance निर्धारित किया जाता है और वेरेक्टर डायोड में Positve तथा Negative सेमीकंडक्टर के बीच बनने वाले उदासीन क्षेत्र से Capacitance निर्धारित किया जाता है। इसकी Capacitance रिवर्स वोल्टेज के आधार पर बढ़ता अथवा घटता है। यह अपना वास्तविक काम हमेशा Reverse Bias में करता है।
Note- आज के इलेक्ट्रॉनिक्स में डायोड या किसी भी एलेक्ट्रोनिस कॉम्पोनेन्ट को केवल उसके वास्तविक आकर से 100% पहचान करना थोडा मुश्किल होता है, क्योंकि आज सभी कॉम्पोनेन्ट कई आकर में सर्किट के अनुसार बनाये जाते है या कई कॉम्पोनेन्ट के वास्तविक आकर एक जैसे होते है। इसलिए किसी भी कॉम्पोनेन्ट को वास्तविक रूप से 100% पहचानने के लिए सबसे आसन तरीका है की उसपर लिखे Number को Google पर सर्च और कॉम्पोनेन्ट के बारे में जानने का प्रयास करें।
इसी प्रकार की और भी Knowledgeable आर्टिकल पढने के लिए Comtechinhindi.IN से जुड़े रहें। धन्यवाद!
बहुत ही अच्छी जानकारी देने के लिए धन्यवाद
ReplyDeletethank you
ReplyDelete