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Capacitor क्या है? Capacitor kya hai? जानिए अपनी भाषा में?

Capacitor क्या है? What is Capacitor in hindi?

फ्रेंड्स हम सभी को पता है कि हमारे इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग के क्षेत्र में कई सारे इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेन्ट पाए जाते है जैसे- Resistor, Transistor, Capacitor, Diode, IC, MOSFET etc. इनमे से कुछ के बारे में शायद आपको भी पता हो. फिर भी आज हलमलोग इनमे से एक कॉम्पोनेन्ट Capacitor के बारे में चर्चा करने जा रहे है ऐसे में यदि आप कैपेसिटर के बारे में ही जानने के लिए यहां तक आएं है तो आप सही जगह है, इसलिए आपसे आग्रह है कि पूरी आर्टिकल को ध्यानपूर्वक पढ़ें.

Capacitor kya hai?

Capacitor जिसे हिंदी में संधारित्र कहा जाता है, यह एक इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेन्ट है जिसे दो Metallic Plate के बीच एक कुचालक पदार्थ (जिसे Dielectric Material कहा जाता है) को रखकर बनाया जाता है. Capacitor एक Small Chargable बैटरी के समान कार्य करता है. यह अपने अन्दर DC विधुत चार्ज को कुछ देर के लिए स्टोर करके रख सकता है. Capacitor को condenser भी कहा जाता है.
Capacitor के नाम तथा कार्य इसके अन्दर प्रयोग किये गए Dielectric Material के अनुसार अलग-अलग होते है.

Capacitance क्या है?

Capacitor के अन्दर विधुत चार्ज को स्टोर करने की क्षमता को Capacitance कहा जाता है. जिसे C से प्रदर्शित किया जाता है.
Capacitance की इकाई Farad होती है. इसकी इकाई मुख्यतः KMFD-Kilo Micro Farad, MFD-Micro Farad, KPF-Kilo Pico Farad (जिसे NF-Nano Farad भी कहते है) तथा PF-Pico Farad होती है.

1000 Pico Farad = 1 Nano Farad Or 1 Kilo Pico Farad
1000 NF = 1 Micro Farad
1000 MF = 1 Kilo Micro Farad

किसी भी capacitor की capacitance या इसकी Value निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है जैसे-

  • Capacitor के अन्दर प्रयोग किया गया मेटेलिक प्लेट का क्षेत्रफल.
  • Capacitor के दोनों प्लेटों के बीच की दुरी.
  • दोनों प्लेटों के बीच प्रयोग किया गया Dielectric Material की Quality इत्यादि.
Capacitor को इन्ही सारी तथ्यों को ध्यान में रखकर बनाया जाता है जिसपर उसकी Capacitance निर्भर करता है.

Capacitor के कार्य करने की प्रक्रिया?
Capacitor Working Process

Capacitor चार्जिंग डिसचार्जिंग सिधांत पर कार्य करता है. यह प्रक्रिया AC तथा DC दोनों टाइप के Supply में अलग अलग प्रकार के होते है.

DC में जब Cap. को सप्लाई दी जाती है तब इसके दोनों प्लेटों के माध्यम से इलेक्ट्रान Positive से Negative की और जाने का प्रयास करता है परन्तु इन दोनों प्लेटों के बीच Dielectric Material होने के कारण इससे होकर करंट Flow नहीं हो पाता है जिससे दोनों प्लेटों पर Positive तथा Negative Charge जमा हो जाता है. यह अपने अन्दर विधुत चार्ज को तब तक लेते रहता है जब तक यह अपने Capacitance के अनुकूल पूरी तरह चार्ज ना हो जाये. यह capacitor की Charging Condition कहलाती है.
यदि यह पूरी तरह चार्ज हो और इसके ऊपर कुछ भी लोड ना हो ऐसे कंडीशन में इसकी सप्लाई को हटा देने पर भी यह तुरंत डिस्चार्ज नहीं होता है. बल्कि लोड पर लगे रहने पर इसकी Discharging प्रक्रिया स्टार्ट होती है और यह Discharging प्रक्रिया तब तक चलता रहता है जब तक यह पूरी तरह Discharge ना हो जाये. यह इसकी Discharging Condition कहलाती है.

AC में जब Cap. को सप्लाई दी जाती है तो AC के Cycle के अनुसार इसकी भी Polarity बदलती रहती है जिस कारण प्रत्येक एक Half Cycle में Charging और दुसरे Half Cycle में Discharging की प्रक्रिया होती है. और यह प्रक्रिया लगातार चलती रहती है. इस प्रकार यह Capacitor AC के बहाव में एक प्रकार का विरोध उत्पन्न करता है जिसे Impedance कहा जाता है. यह Impedance Capacitor की वैल्यू तथा करंट की Frequency पर निर्भर करता है.
AC Cycle

Capacitor के कार्य तथा उपयोग?

  • DC को स्टोर करना तथा AC को पास करना.
  • Current Filter करना.
  • Signal Filter करना.
  • Delay Time उत्पन्न करना.
  • Circuit Protection करना.
  • Current की Amperage Boost करना.
  • Power Factor Correction करना.
  • Waves की आकार उलटाना अर्थात Phase Shifting करना.
  • Torque Generate करना.

Capacitor के प्रकार?

Polarity के अनुसार Capacitor को दो श्रेणी में बांटा गया है-

Polarized Capacitor (PC) -

PC में Positive (+Ve) तथा Negative (-Ve) Pole Fix रहता है जिस कारण इस capacitor को सर्किट में लगाने से पहले इसकी +Ve तथा –Ve पोल का खास ध्यान रखा जाता है. इस capacitor का उपयोग केवल DC सर्किट में किया जाता है.

Non Polarized Capacitor (NPC) -

NPC की कोई भी Pole Fix नहीं होती है. जिस कारण इसको सर्किट में कैसे भी लगाया जा सकता है. इस capacitor का उपयोग AC तथा DC दोनों टाइप के सर्किट में किया जाता है.

Construction के आधार पर Capacitor कई प्रकार के होते है-

Ceramic Capacitor:-
ceramic capacitor

वे Capacitor जिसके अन्दर Dielectric के रूप में Ceramic Material का यूज़ किया गया होता है उसे सिरेमिक 
Capacitor कहा जाता है. सिरेमिक Cap. की Capacitance Value ज्यादातर Pico Farad में होती है परन्तु इसकी Voltage Range बहुत ही ज्यादा लगभग 3 KV तक की अलग-अलग रेंज में होती है.

Electrolyte Capacitor:-
electrolyte capacitor
वे Capacitor जिसके अन्दर Dielectric के रूप में Electrolyte नमक पदार्थ का यूज़ किया गया होता है उसे Electrolyte Capacitor कहा जाता है. इसकी संरचना एक Dry Cell की जैसी होती है.
Electrolyte Capacitor भी दो तरह के होते है-
  1. Polarized Electrolyte Capacitor- इस Capacitor की Positive तथा Negative पोल फिक्स होती है इसलिए इसका इस्तेमाल केवल DC Circuit में या केवल Signal Filtration के लिए ही किया जाता है. यह Cap. बहुत ही बड़े Capacitance Range में उपलब्ध होते है.
  2. Non Polarized Electrolyte Capacitor- इस Capacitor में Polarity नहीं होती है इसलिए इसका इस्तेमाल ज्यादातर AC Circuit में ही किया जाता है. इस Cap. को AC Capacitor भी कहा जाता है. Electric Motor तथा Fan में इसी Type के Capacitor का यूज़ किया जाता है जो Starting Torque देने का काम करता है. 
Mica Capacitor:-
mica capacitor
वे Capacitor जिसके अन्दर Dielectric के रूप में Mica (अभ्रक) का उपयोग किया गया होता है उसे Mica Cap. कहा जाता है. इसके अन्दर Dielectric के रूप में Mica रहने के कारण यह हाई टेम्परेचर पर भी अच्छे इंसुलेटर की तरह कार्य करता है. इसलिए यह उच्च फ्रीक्वेंसी पर भी बहुत ही अच्छा कार्य करता है इसमें फ्रीक्वेंसी की क्षति बहुत ही कम होती है.

Paper Capacitor:-
paper capacitor

Paper Capacitor के अन्दर दो मेटेलिक परत के बीच Dielectric के रूप में तेल या मोम से भीगा हुआ Paper का इस्तेमाल किया गया होता है. इसलिए इस प्रकार के Capacitor को Paper Capacitor कहा जाता है. इस Cap. की मैक्सिमम वोल्टेज रेंज लगभग 600 Volt होती है तथा इसकी Capacitance रेंज 0.001 Micro Farad से 1.0 Micro Farad तक होती है.

Variable Capacitor:-
variable capacitor
Variable Capacitor वे Capacitor होते है जिसकी Capacitance को जरुरत के अनुसार घटाया या बढ़ाया जा सकता है. इसकी वैल्यू को एडजस्ट करने के लिए इसमें एक नोब या स्क्रू लगे होते है जिसको घुमाकर इसकी वैल्यू में बदलाव किया जाता है. इस Cap. का इस्तेमाल ज्यादातर Radio तथा TV में किया जाता है.

Tantalum Capacitor:-
tantalum capacitor

Tantalum Capacitor इलेक्ट्रोलाइट कैपेसिटर का एक एडवांस रूप है जो अपनी आकार तथा क्षमता के अनुसार बहुत ही हाई Capacitance Level प्रदान करता है। यह कैपेसिटर Polarized होती है जिसमे Positive तथा Negative दो पोल होते है। इसकी बनावट अलग-अलग तरह की होती है जिसके ऊपर इसकी वैल्यू लिखी होती है। टैंटलम कैपेसिटर की टॉलरेंस भी बहुत ही कम होती है अर्थात यह लगभग Intolerance होती है। यह दो वैरिएंट में मौजूद होते है एक SMD Type और एक Leaded Type. इस प्रकार के कैपेसिटर का इस्तेमाल ज्यादातर डिजिटल सर्किट में किया जाता है।

SMD Capacitor:-
smd capacitor

SMD कैपेसिटर SMT(Surface Mount Technology) पर आधारित होते है अर्थात यह PCB के Surface पर Mountable होते है। यह बहुत ही छोटे आकार के कैपेसिटर होते है जिसकी High Efficiency & Low Losses होती है, इसे Chip Capacitor भी कहा जाता है। SMD में Polarized तथा Non Polarized दोनों तरह के कैपेसिटर पाये जाते है। आजकल के लेटेस्ट डिजिटल सर्किट में केवल SMD कैपेसिटर का ही उपयोग किया जा रहा है।


Conclusion:
फ्रेंड्स हमने इस आर्टिकल में Capacitor के बारे में बिलकुल सरल भाषा में समझाने का प्रयास किया है, हमें उम्मीद है की इस आर्टिकल को पढ़कर आपको जरुर कुछ सिखने को मिला होगा, फिर भी किसी प्रकार की कोई कंफ्यूजन रह गयी हो तो कमेंट के माध्यम से पूछ सकते है. यह आर्टिकल आपको कैसी लगी इसके बारे में फीडबैक कमेंट के माध्यम से जरुर दें, साथ ही अगर यदि यह आर्टिकल आपको पसंद आई हो तो अपने फ्रेंड सर्किल में अधिक से अधिक शेयर करें. Comtechinhindi.IN से जुड़े रहने के लिए धन्यवाद !

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