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Wireless Charging क्या है | Wireless Charging System कैसे काम करता है?

Wireless Charging क्या है | Wireless Charging System कैसे काम करता है?

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हम में से सभी लोगों को ये तो पता ही होगा की वायरलेस अर्थात बिना किसी फिजिकल माध्यम से डाटा ट्रांसमिशन होता और सायद इस टेक्नोलॉजी का हम सभी ने यूज़ भी क्या होगा, क्योंकि वायरलेस डाटा ट्रांसमिशन टेक्नोलॉजी का हमारे रोजमर्रा के जिंदगी में उपयोग होनेवाली बहुत सारे गैजेट तथा उपकरण जैसे- मोबाइल, कंप्यूटर, टीवी, ए सी इत्यादि में उपयोग किया गया होता है, इसलिए आज ये एक सामान्य तकनीक लगता है परंतु क्या आपने कभी सोचा है Wireless Electricity भी Transmission किया जा सकता है, सायद ये तकनीक सब के सोच से परे लगता है पर ये भी बहुत हद तक संभव है और कुछ ऐसे कार्यों में इस तकनीक का उपयोग भी किया जा रहा है खास करके Wireless Charging System में।

आज हमलोग इस आर्टिकल में वायरलेस चार्जिंग सिस्टम के बारे में ही विश्लेषण करने जा रहे है तो चलिए शुरू करते है।

Wireless Charging क्या है?
wireless charging

बिना किसी फिजिकल माध्यम से जोड़े हुए इलेक्ट्रिसिटी ट्रांसफर करके किसी भी इलेक्ट्रॉनिक्स गैजेट या उपकरण को रिचार्ज करने की प्रक्रिया Wireless Charging कहलाता है।

Wireless Charging System कैसे कार्य करता है?
electromagnetic induction

वैसे तो वायरलेस इलेक्ट्रिसिटी ट्रांसमिशन के बारे में सोचे तो ये असंभव लगता है पर ये असंभव तब होता है जब इस तकनीक की मदद से लंबी दूरी तक पावर ट्रांसमिट करना हो बल्कि एक सिमित दुरी अर्थात कुछ इंच तक की डिस्टेंस में पावर ट्रांसमिट करना हो तब Faraday's law of electromagnetic induction की मदद से संभव हो जाता है।
वायरलेस चार्जिंग तकनीक भी Electromagnetic Induction के सिद्धान्त पर ही कार्य करता है।
उदहारण के तौर पर जिस प्रकार ट्रांसफॉर्मर के अंदर प्राइमरी तथा सेकेंडरी कॉइल एक दूसरे से अलग होते हुए भी प्राइमरी में AC Input देने पर सेकेंडरी से AC Output प्राप्त होती है ठीक इसी प्रकार वायरलेस चार्जिंग सिस्टम भी दो भागों में बटा होता है जिसमे से एक Transmitter होता है और दूसरा Receiver.

Transmitter:-
wireless charger transmitter coil

ट्रांसमीटर की Internal Architecture की बात करे तो इसके अंदर Transmitter Coil तथा कुछ Controller Circuit बानी होती है।

Receiver:-
wireless charger receiver coil

रिसीवर की भी Internal Architecture कुछ इसी तरह होती है अंतर केवल इतना होता है कि ट्रांसमीटर कॉइल Electromagnetic Field ट्रांसमिट करता है और रिसीवर कॉइल Electromagnetic Field रिसीव करके इससे उत्पन्न हुई Electric Current को आगे की सर्किट में भेजता है।

अब इन दोनों के अंदर होता ये है कि जब Transmitter को किसी AC Power Source से जोड़ा जाता है तो इसके अंदर लगी इंडक्शन कॉइल में Faraday's First Low के अनुसार Electromagnetic Field उत्पन्न होता है और जब इस Electromagnetic Field के Area में दूसरी कॉइल अर्थात Receiver को लाया जाय तो उसमें Faraday's Second Low के अनुसार Electro Motive Force उत्पन्न होने लगता है और उस कॉइल से Alternating Current Flow होने लगता है जिसको आगे की Controller Circuit में भेजकर जरुरत के अनुसार उपयोग में लिया जाता है।

Wireless Charging का उपयोग:-

वायरलेस चार्जिंग का उपयोग मुख्य रूप से Mobile तथा Electric Vehicle (Car) चार्जिंग के लिए किया जा रहा है। इन दोनों की तकनीक लगभग एक सामान ही है अंतर केवल इतना है की Car Charging के लिए ज्यादा Energy Transfer करने की जरुरत होती है और Mobile के लिए बहुत ही कम इसलिए दोनों की आकार में भी अंतर देखने को मिलता है।
wireless mobile charging
Mobile Wireless Charging की बात करें तो इसके लिए एक Transmitter Plate होती है जिसको Power Source के साथ जोड़ा जाता है और मोबाइल के बैक कवर के अंदर Receiver Coil लगी होती है। जब ट्रांसमीटर को एक्टिव करके इसके ऊपर मोबाइल को रखा जाता है तो ऊपर बताई गई सिद्धान्त के अनुसार मोबाइल में लगे रिसीवर कॉइल में Current Flow होता है और चार्जिंग होने लगता है।
wireless car charging

ठीक इसी तरह Car Charging में भी होता है इसके लिए एक Transmitter Plate होती है जिसको पर्किंग एरिया के जमीन पर बैठाया जाता है जिसको Power Source से जोड़ा जाता है और Car के नीचे एक Receiver Plate लगी होती है, जब Transmitter प्लेट के ऊपर गाड़ी खड़ी करके Power Source को On किया जाता है तो Receiver की कॉइल में ठीक उसी तरह Current उत्पन्न होने लगता है और आगे इस करंट का इस्तेमाल Charging के लिए किया जाता है।

इस प्रकार कहा जा सकता है की Wireless Electricity उतनी दूर तक Transfer किया जा सकता जितनी एरिया तक Electromagnetic Field उत्पन्न हो सकता है परंतु जितनी दुरी बढ़ती जायेगी उतनी ही ज्यादा Energy Losses भी होगी।

Wireless Charging के Advantage तथा Disadvantage:-

वायरलेस चार्जिंग के विशेषताओं की बात करें तो इसमें सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें Cable की झंझट से मुक्ति मिल जाती है, Shock लगने का भय नहीं रहता है, Connector Damage इत्यादि प्रॉब्लम ऐ भी निजात मिल जाती है।

परंतु इस तकनीक में बहुत ही बड़ी नुकसान भी है वो है Power Losses की, एक छोटी सी सुविधा के खातिर इसमें बहुत ही Energy व्यर्थ चले जाते है क्योंकि Electromagnetic Induction के द्वारा Energy Transfer करने पर कभी भी 100% Energy को प्राप्त नहीं कर सकते। इस तकनीक से लगभग 80% Energy ही Use में लिया जा सकता साथ ही वायरलेस चार्जिंग में स्लो चार्जिंग होती है इसमें फ़ास्ट चार्जिंग की सुविधा हम नहीं ले सकते।
वैसे जितनी तेजी से टेक्नोलॉजी आगे बढ़ रही है आनेवाले समय में कुछ भी हो सकता है पर वर्त्तमान समय इसकी Efficiency बहुत ही काम है।

इन्हें भी देखें:→
👉AC और DC में क्या अंतर है, जानने के लिए यहाँ क्लिक करें.... 

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