विधुत चुम्बक क्या है? What is electromagnet in hindi?
फ्रेंड्स हम सभी जान रहे है की इस दुनिया में एक ऐसा पदार्थ भी है जो लोहा, कोबाल्ट इत्यादि जैसे पदार्थ को अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता रखता है जिसे चुम्बक (Magnet) कहा जाता है और चुम्बक के इस गुण को चुम्बकत्व कहा जाता है।चुम्बक दो प्रकार के होते है:-
प्राकृतिक चुम्बक: जो खदानों से प्राप्त होता है जिसे Lode Stone कहा जाता है।
कृत्रिम चुम्बक: जिसे मानव द्वारा कृत्रिम विधि से बनाया जाता है।
हालाँकि कृत्रिम चुम्बक भी बनावट के आधार पर दो प्रकार के होते है:-
स्थाई चुम्बक: जिसे कार्बन, लोहा, कोबाल्ट जैसी धातुओं से कृत्रिम विधि द्वारा बनाया जाता है।
अस्थाई चुम्बक: जिसमे चुम्बकत्व गुण किसी दुसरे सोर्स पर निर्भर करता हो जैसे- विधुत चुम्बक।
आज हमलोग इस टॉपिक में विधुत चुम्बक यानि Electro Magnet के बारे में ही चर्चा करने जा रहे है, तो चलिए शुरू करते है....
हम सभी को पता होना चाहिए की जब किसी चालक (तार) से होकर विधुत धारा प्रवाहित होती है तो उस तार में विधुत आवेशों की गति के कारण तार के आस-पास चुम्बकीय रेखाएं अर्थात मैग्नेटिक फील्ड बनती है, परन्तु यह मैग्नेटिक फील्ड कमजोर होती है, पर इसी तार को जब एक से ज्यादा टर्न में लपेटकर कुंडली बना दिया जाता है और उसमे विधुत धारा प्रवाहित की जाती है तो प्रत्येक टर्न की मैग्नेटिक फील्ड एक-दुसरे से मिलकर एक मजबूत मैग्नेटिक फील्ड बनाती है। इस प्रक्रिया को Electromagnetism (विद्युत चुंबकत्व) कहा जाता है।
विधुत चुम्बक क्या है? Vidyut chumbak kya hai?
Picture No 1
विधुत चुम्बक जिसे अंग्रजी में Electro Magnet कहा जाता है,यह नरम लोहे के ऊपर इंसुलेटेड वायर को लपेटकर बनाया गया एक चुम्बक होता है जिसे विधुत चुम्बक कहा जाता है। यह एक अस्थाई चुम्बक होता है जिसकी चुम्बकत्व गुण विधुत धारा पर आश्रित होती है। इस चुम्बक को अस्थायी चुम्बक इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें चुम्बकत्व का गुण केवल उतनी ही देर तक रहता है जब तक इसमें विधुत धरा प्रवाहित की जाती है, विधुत धरा के प्रवाह को रोक देने से इसके चुम्बकत्व का गुण समाप्त हो जाता है।
इलेक्ट्रो मैगनेट में भी North और South Pole (ध्रुव) बनती है, पर इसकी Pole फिक्स नहीं होती है क्योंकि इसकी ध्रुव करंट की दिशा बदलने पर बदल जाती है।
विधुत चुम्बक की चुम्ब्कत्व शक्ति (Magnetic Capacity) उसमे लगे कुंडली में टर्न की संख्या तथा उसमे दी जानेवाली विधुत धारा (Electric Current) पर निर्भर करती है।
विधुत चुम्बक का SI मात्रक Ampere होता है।
विधुत चुम्बक कैसे बनाया जाता है?
वैसे तो विधुत चुम्बक कई आकारों तथा क्षमताओं में अलग-अलग तरह से बनाये जा सकते है, परन्तु सभी में मुलभुत सिद्धांत समान ही रहता है। विधुत चुम्बक बनाने की बेसिक कांसेप्ट को समझने का प्रयास करें तो....जब किसी लोहे के छड़ के ऊपर कॉपर वायर को लपेटकर उसके दोनों सिरों पर Positive तथा Negative सप्लाई दिया जाय तो वह लोहा एक चुम्बक की भांति काम करने लगता है जिसे छड चुम्बक कहा जाता है। इस लोहे की छड़ में भी चुम्बक का गुण तभी तक रहेगा जब तक उसके ऊपर लपेटे गए तार में इलेक्ट्रिक सप्लाई मिलते रहेगी, जैसे ही सप्लाई रोक दिया जायेगा वैसे ही छड़ का चुम्बकत्व गुण समाप्त हो जायेगा, जैसा की Picture No 1 में दिखाया गया है।
विधुत चुम्बक की खोज कब और किसने की थी?
विधुत चुम्बक की खोज सर्वप्रथम 1825 ईस्वी में इग्लैंड के वैज्ञानिक William Sturgeon ने की थी।विधुत चुम्बक की विशेषताएँ?
- विधुत चुम्बक की चुम्बकीय शक्ति करंट के मान को कम ज्यादा करके घटाई बढाई जा सकती है ।
- करंट की दिशा में प्रवर्तित करके इसकी ध्रुवता (Polarity) भी परिवर्तित की जा सकती है।
- विधुत चुम्बक के केस में चुम्बकीय शक्ति का कण्ट्रोल अपने हाथ में होता है।
- इसकी चुम्बकीय शक्ति स्थाई चुम्बक की तरह फिक्स नहीं होती है बल्कि इसकी चुम्बकीय शक्ति अपने जरुरत के अनुसार तय किया जा सकता है।
विधुत चुम्बक के उपयोग?
- विधुत मोटर स्टार्टर में....
- ऑटोमेटिक रिले में....
- एम सी बी में....
- मैग्नेटिक लिफ्टर में....
- इलेक्ट्रिक बेल में....
- इसके अलावे कई ऐसे इलेक्ट्रिक मशीन, संयंत्र और कलपुर्जे है जिसमे खास इलेक्ट्रो मैगनेट का उपयोग किया गया हो या ना किया गया हो परन्तु इलेक्ट्रो मैग्नेटिक कांसेप्ट का उपयोग बहुत से मशीन और संयंत्रों में होता है जैसे-मोटर, जनरेटर, ट्रांसफार्मर, सेल्फ स्टार्टर, स्पीकर, एम आर आई मशीन इत्यादि।
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