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वर्चुअल मेमोरी क्या है? Virtual memory kya hai? यहाँ जाने?

वर्चुअल मेमोरी क्या होता है? What is virtual memory in hindi?

फ्रेंड्स आप में से जो भी लोग कंप्यूटर का इस्तेमाल करते है उन्हें ये पता होगा की कंप्यूटर में एक RAM नाम की मेमोरी होती है जिसका पूरा नाम होता है Random Access Memory जो कंप्यूटर की मुख्य होती है और शायद ये भी पता होगा की RAM कंप्यूटर की एक ऐसी मेमोरी है जो कंप्यूटर को Working Space देने का काम करता है अर्थात कंप्यूटर पर Real Time में जिस भी Software, Program, File इत्यदि पर कार्य कर रहे होते है वो Operation के दोरान RAM पर ही आकर Load रहता है, पर क्या आपने कभी सोचा है की कंप्यूटर की Main Memory अर्थात RAM जिसकी Size ओसतन 4GB, 8GB या 16GB ही होती है फिर भी ये Multitasking के दोरान कैसे सभी बड़ी-बड़ी प्रोग्राम को एक साथ अपने पास रखकर चला पाती है, क्या ये कभी फुल नहीं होती है.

इसी सवाल के वक्त कंप्यूटर की एक ऐसी छिपी हुई Memory की राज उजागर हो जाती है जिसका नाम है Virtual Memory जिसे Virtual RAM भी कहा जाता है. जिसके बारे में शायद बहुत से लोगों को पता भी नहीं होता है.

अगर यदि आप इसी सवालों का जबाब ढूंढते हुए यहाँ तक आये है तो आप सही जगह है क्योंकि आज हमलोग इस टॉपिक में Virtual Memory जिसे Virtual RAM भी कहा जाता है के बारे में चर्चा करने जा रहे है. इसलिए आपसे आग्रह है की पूरी आर्टिकल को ध्यानपूर्वक पढ़ें. तो चलिए शुरू करते है....

वर्चुअल मेमोरी क्या है?

Virtual memory kya hai?

जैसा की इसके नाम से पता चलता है कि वर्चुअल यानि आभासी अर्थात वर्चुअल मेमोरी वास्तव में कोई Physical Memory (RAM) नहीं है बल्कि यह एक ऐसा कांसेप्ट है जिसमे Secondary Memory के कुछ Space को Main Memory की तरह उपयोग किया जाता है, जो कंप्यूटर की Main Memory (RAM) के Supporting में कार्य करता है। वर्चुअल मेमोरी का कांसेप्ट ऑपरेटिंग सिस्टम में होता है और इसी के द्वारा मैनेज किया जाता है।
वर्चुअल मेमोरी को अच्छी तरह समझने के लिए हमें सबसे पहले RAM के बारे में समझना जरूरी है तो इसके लिए संक्षेप में जानते है कि....

RAM क्या है और कंप्यूटर में इसका क्या काम है?

RAM जिसका पूरा नाम Random Access Memory होता है, यह कंप्यूटर की एक Physical Memory है जो कंप्यूटर को Working Space देने का काम करता है अर्थात कार्य के दौरान Open की गयी सभी Software, Program, File इत्यादि RAM पर ही तत्काल रूप से Load रहते है। इसमें होता कुछ यूं है कि जब भी कंप्यूटर को ऑन किया जाता है तो सबसे पहले बूटिंग प्रक्रिया होती है इस दौरान Operating System को सेकेंडरी मेमोरी जिसपर OS Installed रहता है उससे OS की कुछ जरुरी File लेकर RAM पर पर लोड किया जाता है उसके बाद हमें डेस्कटॉप स्क्रीन दिखाई देती है, फिर जब कोई Program या File Run कराते है तो वे सभी तत्काल रूप से RAM पर ही Load होते है और वे सभी तब तक RAM पर ही रहते है जब तक हम उसे Close या Save ना कर दें।

ऐसे में कुछ क्षण के लिए एक बार सोचें की यदि हमारे कंप्यूटर में 4GB की RAM लगी हो और बहुत सारे Program, File इत्यादि को एक ही बार ओपन कर दिया जाय और ये 4GB का Space Full हो जाये तो क्या होगा, ऐसे Situation में कुछ भी हो सकता है Program, File इत्यादि Directly Close या क्रैश हो सकती है, System Hang हो सकता है, Operating System, Program क्रैश हो सकता है, ऐसे में बहुत ही बड़ी परेशानी उत्पन्न हो सकती है।

इसी समस्या से बचने के लिए Operating System में Virtual Memory का Concept यूज़ किया जाता है। यह कांसेप्ट हर एक Operating System बनाने वाली कंपनी अपने OS में देती है, हालाँकि अलग-अलग तरह के OS में इसका नाम अलग-अलग हो सकता है।

Windows में इसे Page File के नाम से जाना जाता है, Linux में इसे Swap Partition के नाम से जाना जाता है, Mac में इसे Virtual Memory कहा जाता है और भी किसी दूसरे OS में इसका कोई दूसरा नाम भी हो सकता है परंतु सभी का Concept एक ही है।

वर्चुअल मेमोरी की साइज कितनी होती है?

Windows की बात करें तो इसमें Page File (Virtual Memory) की साइज का भी एक रूल होता है की इसकी साइज RAM से दोगुनी Allot किये जाते है, हालाँकि जरुरत के अनुसार इसकी साइज कम ज्यादा होते रहता है जो OS के द्वारा ही मैनेज किये जाते है। Virtual Memory के लिए Space By Default कंडीशन में जिस Drive में Boot File यानि OS Installed होते है उसी से लिए जाते है। हालाँकि इसकी By Default Location को बदलकर हम अपने अनुसार कोई दूसरा Drive सेट कर सकते है।

वर्चुअल मेमोरी कैसे कार्य करता है?
Virtual memory accessing diagram?

विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम की कांसेप्ट के आधार पर वर्चुअल मेमोरी के कार्य को समझने का प्रयास करें तो होता कुछ यूं है कि जब हम कंप्यूटर पर कार्य कर रहे होते है और बहुत सारी Program, File, Folder इत्यादि ओपन किये होते है तो उनमें से वे फाइल या प्रोग्राम जो Active Stage में होता है अर्थात जिसपर Continually कार्य कर रहे होते है वे तो उस वक्त RAM पर ही होता है परंतु वे फाइल या प्रोग्राम जो ओपन तो होते है पर कुछ देर से Inactive Stage में होता है अर्थात वे Minimize होता है या उसपर कार्य नहीं कर रहे होते है तो उसे OS के द्वारा उसकी Page File बनाकर Page File की लोकेशन जो भी Set की गयी होती है उसमें भेज दिया जाता है ताकि RAM में हमेशा Space मौजूद रहे और नई Program या File Run कराने में परेशानी ना हो, और जैसे ही Inactive Program या File को फिर से एक्सेस किया जाता है तो पुनः उसे RAM पर Load कर दिया जाता है हालाँकि इस वक्त थोड़ी Delay महसूस होती है क्योंकि RAM की उपेक्षा कोई भी Secondary Memory Devices स्लो होती है जिस कारण Data Fetch करने में थोड़ी Delay होती है। ये प्रक्रिया Internally हमेशा चलती रहती है ताकि कंप्यूटर में Main Memory कम रहने पर भी Working Space कम ना पड़े और User Experience बेहतर बानी रहे।


इस प्रक्रिया को हम Manually Enable या Disable भी कर सकते है वैसे सभी OS में By Default यह Enable ही रहता है। कुछ लोग Page File को RAM पर Load होने में होनेवाले डिले से बचने के लिए OS की Paging Option को Disable करके रखते है ताकि सारी डाटा RAM पर ही पड़ी रहे और Page File क्रिएट ना हो, जिससे हमेशा Inactive Program, File इत्यादि भी आसानी से एक्सेस हो सके। पर ऐसा करना सभी यूजर के लिए सही नहीं है क्योंकि अगर यदि आपके कंप्यूटर में RAM कम Size में हो तो जब कभी उसकी पूरी Space Utilize हो जाती और आपको पता भी नहीं होता है तो फिर आपके सिस्टम में समस्या उत्पन्न हो जायेगी इसलिए जिन्हें ये पता नहीं है कि उनके कार्य के दौरान RAM की कितनी Resource यूज़ होता है तो उन्हें Paging Option को Disable नहीं करना चाहिए। इसके अलावा जिनके कंप्यूटर में RAM की साइज अधिक हो और उन्हें ये पता हो की उनके द्वारा कार्य के दौरान कभी भी उसकी पूरी Resource यूज़ नहीं होता है तब इसे Disable कर देने से भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि उनके सिस्टम में हमेशा RAM Space प्रयाप्त मात्रा में उपलब्ध होती है।

निष्कर्ष:
फ्रेंड्स हमें उम्मीद है कि हमारे द्वारा वर्चुअल मेमोरी के बारे में लिखी गयी इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप जान गए होंगे की वर्चुअल मेमोरी क्या होता है और यह कैसे काम करता है, फिर भी किसी प्रकार की कोई कंफ्यूजन रह गयी हो तो कमेंट के माध्यम से पूछ सकते है। यह आर्टिकल आपको कैसी लगी इसकी फीडबैक कमेंट के माध्यम से जरुर दें, आपकी फीडबैक हमारे लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि आपके फीडबैक के आधार पर ही हम आपके द्वारा पढ़े जा रहे आर्टिकल की गुणवत्ता तय कर पाते है। साथ ही अगर यदि यह आर्टिकल आपको पसंद आई हो तो अपने फ्रेंड सर्किल में अधिक से अधिक शेयर करें। इसी प्रकार की कंप्यूटर और टेक्नोलॉजी से सम्बंधित आर्टिकल पढ़ते रहने के लिए Comtechinhindi.IN से जुड़े रहें....धन्यवाद!
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