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ड्रॉपशिपिंग क्या है? Dropshipping business kya hai? यहाँ जाने हिंदी में?

ड्रॉपशिपिंग बिज़नेस क्या है? What is dropshipping business in hindi? जानिए ड्रॉपशिपिंग  के बारे में वो सब कुछ जो आप जानना चाहते है?

फ्रेंड्स आज इन्टरनेट और टेक्नोलॉजी जितनी तेजी से ग्रो कर रहा है उतनी ही तेजी से ई-कॉमर्स बिज़नेस भी ग्रो कर रहा है। आज हर एक गावँ में घर-घर हाई स्पीड इंटरनेट पहुँच चुकी है, ऐसे में चाहे आम लोग हो या खास आज हर किसी को अगर कोई प्रोडक्ट खरीदनी होती है तो वे सबसे पहले उसे ऑनलाइन ही Amazon, Flipkart जैसे E-Commerce वेबसाइट पर चेक करके पता करते है की वे प्रोडक्ट उपलब्ध है या नहीं, अगर वे प्रोडक्ट उसे मिल जाते है तो उसे वहीँ से आर्डर प्लेस भी कर देते है और कुछ ही दिनों में उसके द्वारा आर्डर की गयी प्रोडक्ट उसके घर पर पहुँच जाता है।

Amazon, Flipkart जैसे ई-कॉमर्स बिज़नेस मॉडल में Amazon, Flipkart के अलावा बहुत सारे होलसेल तथा रिटेल Seller (विक्रेता) इससे जुड़े होते है जिन्हें अपने प्रोडक्ट का कलेक्शन रखना पड़ता है और यदि कोई कस्टमर उनके प्रोडक्ट को खरीदता है तो अमेज़न, फ्लिपकार्ट या जो भी ई-कॉमर्स वेबसाइट होती है उसके द्वारा उस सेलर को नोटिफिकेशन मिलता है फिर सेलर द्वारा इन ई-कॉमर्स कंपनी के Delivery System के माध्यम से उस प्रोडक्ट को कस्टमर के घर तक पहुंचवाना पड़ता है।

परंतु इससे हटकर एक और इसी से मिलता-जुलता E-Commerce बिज़नेस मॉडल है, जिसमे Seller (बिक्री करने वाला) को कोई बड़ी इन्वेस्टमेंट करने की जरुरत नहीं होती है क्योंकि इसमें सेलर को कोई फिजिकल प्रोडक्ट का कलेक्शन नहीं रखना पड़ता है, ना ही किसी भी प्रकार की कोई इन्वेंट्री मैनेज करने की जरुरत होती है और ना ही प्रोडक्ट शिपिंग करवाने की जिम्मेदारी होती है बल्कि इसमें सेलर को केवल अपना एक Online Store बनाकर आर्डर लेना पड़ता है, बांकी जिम्मेदारी सप्लायर यानि जिसकी प्रोडक्ट सेल करवाई जा रही होती है उसकी होती है।

इस E-Commerce Business Model का नाम है Dropshipping (ड्रॉपशिपिंग)। पर क्या आपको पता है ड्रॉपशिपिंग क्या है, ड्रॉपशिपिंग बिज़नेस मॉडल कैसे कार्य करता है, ड्रॉपशिपिंग बिज़नेस करके पैसे कैसे कमाएं, अगर हाँ तो अच्छी बात है अगर नहीं तो अभी आप जानने वाले है इसलिए आपसे आग्रह है कि पूरी आर्टिकल को ध्यानपूर्वक पढ़ें, तो चलिये शुरू करते है....

ड्रॉपशिपिंग क्या है? Dropshipping kya hai?

ड्रॉपशिपिंग एक ऐसा ई-कॉमर्स बिज़नेस मॉडल है जिसमे कोई भी व्यक्ति बिज़नेस के उद्देश्य से बिना किसी प्रोडक्ट्स को फिजिकली खरीदे या कोई बड़ी इन्वेस्टमेंट किये, किसी प्रोडक्ट को उच्च दामों में ग्राहकों को बेचकर मुनाफा कमा सकता है। यह एक ऑनलाइन थर्ड पार्टी प्रोडक्ट सेलिंग मॉडल है जिसमे ऑनलाइन ई-कॉमर्स वेबसाइट की तरह Shopify, Woocommerce या किसी अन्य प्लेटफार्म पर स्टोर बनाकर किसी तीसरे पक्ष के प्रोडक्ट की सेलिंग करके मुनाफा कमाया जाता है।

इस बिज़नेस मॉडल में सेलर यानि जिसका ऑनलाइन स्टोर होता है उसको कोई बड़ी इन्वेस्टमेंट की जरुरत नहीं पड़ती है क्योंकि इसमें स्टोर किसी और का होता है तथा प्रोडक्ट किसी और का, इसलिए ड्रापशिपिंग बिज़नेस में ना ही सेलर को ज्यादा पूंजी लगाने की जरुरत पड़ती है, ना ही कोई विशेष मैनेजमेंट का झंझट रहता है क्योंकि प्रोडक्ट से सम्बंधित सारी जिम्मेदारी जैसे- स्टॉक मेन्टेन रखना, प्रोडक्ट का कलेक्शन रखना, कस्टमर तक प्रोडक्ट शिपिंग करवाना इत्यादि तरह की जिम्मेदारी ड्रापशिपिंग सप्लायर की होती है।

ड्रॉपशिपिंग बिज़नेस मॉडल कैसे काम करता है?

Dropshipping business model working concept

ड्रॉपशिपिंग बिज़नेस मॉडल में मुख्य रूप से तीन पक्ष शामिल होती है जिसमे से एक है वो जिसका अपना ऑनलाइन E-Store होता है जहाँ पर बहुत सारे या सेलेक्टेड प्रोडक्ट लिस्टिंग होती है, दूसरा वो होता है जिसकी प्रोडक्ट होती है इसमें डायरेक्ट प्रोडक्ट निर्माता हो सकता है या कोई होलसेलर और तीसरा कस्टमर जो उस प्रोडक्ट को रिटेल में खरीदेगा।

अब बात आती है की यह पूरी सिस्टम काम कैसे करता है तो हम सभी जान चुके है कि इसमें किसी एक पक्ष का अपना एक Online Store होता है जहाँ थर्ड पार्टी की प्रोडक्ट लिस्टिंग करके उस प्रोडक्ट की बिक्री की जाती है। ऐसे में अगर मान लें कि Shopify या Woocommerce जैसे किसी एक प्लेटफार्म पर बनायीं हमारी अपनी एक Online Store है जहाँ पर किसी ड्रापशिपिंग सप्लायर से टाई-अप करके उसकी कुछ प्रोडक्ट को सेलेक्ट करके हमने अपने Store पर Price Tag के साथ लिस्टिंग कर दिया है।

अब जब भी हमारे Online Store पर किसी कस्टमर के द्वारा उस प्रोडक्ट की Order Place की जाती है तो हमारा एक सेल हो जाता है और हमें केवल उस सप्लायर जिससे हमारा टाई-अप रहता है, उसको Customer की Address और Ordered Product के साथ बताना पड़ता है कि वे प्रोडक्ट वहां उस कस्टमर तक पहुँचाना है फिर वो सप्लायर उस प्रोडक्ट को कस्टमर के एड्रेस पर डिस्पैच कर देता है जिससे बिना वो प्रोडक्ट हमारे पास आये ही उस कस्टमर तक डायरेक्ट पहुँच जाता है। इसी तरह से ड्रॉपशिपिंग मॉडल काम करता है।

अब यहाँ हम अपनी प्रॉफिट की बात करें तो, हम सभी को पता होना चाहिए की बिज़नेस के लिहाज से डायरेक्ट मैन्युफैक्चरर या होलसेलर यानि डायरेक्ट Business to Business (B to B) से ली जानेवाली सामान में हमें अपनी मुनाफे के लिए एक निश्चित मार्जिन मिलता है, ऐसे में यहाँ भी हमें जो समान मिल रहा है वो तो सस्ते में मार्जिन के साथ मिल रहा है जैसे- कोई सामान डायरेक्ट मैन्युफैक्चरर, होलसेलर या किसी सप्लायर से टाई-अप के पश्चात 400₹ में मिल रहा है और उसका MRP 600₹ है तो इसका मतलब है कि हम उस समान को 600₹ तक में बेच सकते है, ऐसे में अगर यदि वे समान हम अपने स्टोर पर 600₹ Price Tag के साथ लिस्ट किये है और कोई कस्टमर उसे हमारे स्टोर से 600₹ में खरीदता है तो उसमें हमें 200₹ का प्रॉफिट होता है, जो हमारी कमाई होती है परंतु यह कमाई हमारा Net Income नहीं होता है क्योंकि इसमें हमारा मार्केटिंग का खर्चा, स्टोर मेन्टेन का खर्चा भी होता है, इसलिए इसे हम Net Income नहीं कह सकते।

इस Selling Model में हमें सिर्फ प्रोडक्ट की बिक्री करके पेमेंट लेनी पड़ती है बांकी जिम्मेदारी सप्लायर की होती है और प्रोडक्ट भी आसानी से डायरेक्ट सप्लायर से ही कस्टमर तक पहुँच जाता है। रही बात हमारे और सप्लायर के बीच लेन-देन कैसे होगा यह डिपेंड करता है कि दोनों के बीच में टाई-अप कैसे हुई है या हमारी ड्रॉपशिपिंग सप्लायर की पालिसी क्या है।

कुछ ड्रॉपशिपिंग बिज़नेस मॉडल में ऐसा भी हो सकता है कि केवल प्रोडक्ट हमारी स्टोर पर लिस्टिंग होगी और जब हमारे स्टोर से कोई कस्टमर किसी प्रोडक्ट की आर्डर प्लेस करता है तो डायरेक्ट सप्लायर को ही पेमेंट और आर्डर की नोटिफिकेशन मिल जायेगा, फिर सप्लायर उस प्रोडक्ट को कस्टमर तक शिप करवा देगी। रही बात हमारी मार्जिन प्रॉफिट की तो हमारी उस प्रोडक्ट में जो भी मार्जिन होगा वह हमें हमारी सप्लायर के द्वारा पेमेंट कर दिया जायेगा जो हमारी इनकम होगी।
वैसे ये सभी कंडीशन और ड्रॉपशिपिंग मॉडल हमारी और हम जिस सप्लायर से जुड़े होंगे उसके वर्किंग पालिसी पर निर्भर करता है।

ड्रॉपशिपिंग के फायदे?

ड्रापशिपिंग बिज़नेस के फायदे की बात करें तो इसके कई फायदे हो सकते है जैसे-
  • इसमें सेलर यानि जिसका स्टोर होता है उसको ज्यादा इन्वेस्टमेंट नहीं करना पड़ता है क्योंकि ड्रॉप शिपिंग व्यापार को स्टार्ट करने में बहुत ही कम पूंजी निवेश की जरूरत पड़ती है, इसलिए जो लोग कम निवेश में कोई व्यापार शुरू करना चाहते हैं, उनके लिए ड्रॉपशिपिंग बिजनेस एक अच्छा विकल्प है।
  • ड्रॉपशिपिंग बिज़नेस में सेलर जिम्मेदारी बहुत ही कम होती है क्योंकि इसमें स्टॉक मैनेजमेंट, इन्वेंट्री मैनेजमेंट, प्रोडक्ट शिपिंग इत्यादि की जिम्मेदारी सप्लायर की होती है।
  • ड्रापशिपिंग बिज़नेस में अपने स्टोर के लिए इच्छानुसार प्रोडक्ट सेलेक्शन करने का बहुत ही अच्छा विकल्प मिलता है जिस कारण इसमें हम केवल वो प्रोडक्ट भी सेलेक्ट कर सकते है जिसकी सेलिंग ज्यादा हो और मार्जिन भी ज्यादा हो।
  • इस बिज़नेस को किसी भी लोकेशन से केवल एक लैपटॉप या कंप्यूटर और इन्टरनेट की मदद से किया जा सकता है।
  • इस बिज़नेस को अकेले भी किया जा सकता है क्योंकि यहाँ हमें हमेशा फिजिकल रूप से कोई विशेष कार्य नहीं करना पड़ता है।
  • इस बिज़नेस मॉडल में सेलर को केवल विशेष रूप से मार्केटिंग पर फोकस करना होता है वो भी केवल और केवल डिजिटल मार्केटिंग पर, क्योंकि यही मार्केटिंग तकनीक सेलर के लिए सबसे ज्यादा फायदे का सौदा होता है।
  • ड्रॉपशिपिंग बिज़नेस के लिए ऑनलाइन स्टोर बनाने के लिए Shopify, Woocommerce जैसे बहुत सारे प्लेटफार्म है जो हमें बहुत ही कम प्राइस में स्टोर बनाने की सुविधा देती है साथ ही यहाँ हम आसानी से बिना कोई विशेष टेक्निकल ज्ञान के आसानी से एक E-Commerce Online Store बना सकते है।

ड्रॉपशिपिंग के नुकसान?

  • ड्रापशिपिंग के नुकसान की बात करें तो इसका सबसे बड़ा नुकसान यह है की इसको समझकर यह बिज़नेस जितना आसन लगता है यह उतना ही ज्यादा कठिन है, क्योंकि कोई भी इंसान बिज़नेस करता है पैसे कमाने के लिए और पैसे तभी कामा सकते है जब बिज़नेस अच्छी तरह चल रहा हो। ऐसे में ड्रॉपशिपिंग एक प्रोडक्ट सेलिंग बिज़नेस मॉडल है इसलिए यहाँ जब तक सेल नहीं होगी तब तक हमें कोई मुनाफा नहीं होगा और प्रोडक्ट सेल तभी होता जब हमारे स्टोर पर लोग आयेंगे। इस बिज़नेस मॉडल में सबसे बड़ा चैलेंज रहता है अपने स्टोर पर लोगो को लाने का।
  • ड्रॉपशिपिंग में अपने स्टोर पर कस्टमर लाना ही बहुत ही भारी काम होता है क्योंकि नए स्टोर में आपकी कोई ब्रांडिंग नहीं होती है, आपको कोई जन नहीं रहा होता है, ऐसे में शुरुआती दौर में आपके ऑनलाइन स्टोर के ऊपर लोग ज्यादा भरोसा नहीं करते है और लोग यहाँ आकर भी चले जाते सकते है। हालाँकि ऐसा नहीं है कि आपके स्टोर पर लोग आएंगे ही नहीं क्योंकि इस बिज़नेस मॉडल में केवल और केवल सेलर का फोकस रहता मार्केटिंग करके स्टोर पर लोगों को लाने में, इसके लिए SEO, Advertising, Social Media Marketing के जरिये अपने स्टोर पर लोगों को लाया जाता है।
  • अगर मैन्युफैक्चरर या होलसेलर प्रोडक्ट में कोई दिक्कत करती है तो इससे स्टोर का भी रेपोटेशन ख़राब होता है जिससे बनते काम भी बिगड़ने लगते है।
  • इस बिज़नेस मॉडल में पूरा कण्ट्रोल सेलर के पास नहीं रह पाता है क्योंकि यहाँ दो लोगों के तालमेल से पूरा सिस्टम चल रहा होता है।
  • अगर प्रॉफिट की तुलना मे मार्केटिंग का खर्च ज्यादा हो तो इनमे नेट बेनिफिट नगण्य भी होने लगता है और हम सभी को पता है कि कोई भी बिज़नेस चाहे ऑनलाइन हो अथवा ऑफलाइन सुरुआत में तो चैलेंज ही रहता है।
इन्हें भी देखें:→

Conclusion (निष्कर्ष):
फ्रेंड्स हमें उम्मीद है की हमारे द्वारा ड्रापशिपिंग के बारे में लिखी गयी इस आर्टिकल की मदद से आपको ड्रापशिपिंग के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला होगा। फिर भी किसी प्रकार का कोई कंफ्यूजन रह गयी हो तो निचे दिए गए कमेंट सेक्शन में कमेंट करने बेझिझक पूछ सकते है। साथ ही ड्रापशिपिंग के बारे में हमारे द्वारा लिखी गयी यह आर्टिकल आपको कैसी लगी इसकी फीडबैक कमेंट के माध्यम से जरुर दें। अगर यदि यह आर्टिकल आपको पसंद आई हो तो अपने फ्रेंड सर्किल में अधिक से अधिक शेयर करें। इसी तरह की और भी आर्टिकल पढ़ते रहने के लिए Comtechinhindi.IN से जुड़े रहें। धन्यवाद!

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