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साइबर क्राइम क्या है? Cyber Crime kya hai? पूरी जानकारी हिंदी में?

साइबर क्राइम क्या है? What is cyber crime in hindi? आइये जानते है साइबर क्राइम क्या होता है, कितने प्रकार के होते है और इससे कैसे बचें, सरल भाषा हिंदी में?

फ्रेंड्स जितनी तेजी से डिजिटल वर्ल्ड का विकास होता जा रहा है उतनी ही तेजी से इससे संबंधित कई तरह की समस्याएं भी उत्पन्न होती जा रही है। आज हम सभी जान रहे है कि दुनिया इंटरनेट पर निर्भर होता जा रहा है क्योंकि आज कई तरह की सरकारी अथवा प्राइवेट कार्य इंटरनेट के माध्यम से ही हो रहा है साथ ही आम लोगों की इंटरनेट पर निर्भरता बढ़ती जा रही है, आज लोग हमेशा सोशल मीडिया के माध्यम से एक दूसरे से जुड़े रहते है अपनी प्राइवेट इन्फॉर्मेशन एक दूसरे के साथ शेयर करते है। चाहे बैंकिंग सुविधाओं की बात हो या कोई डेटा रखने की बात हो सब कुछ इंटरनेट और कंप्यूटर पर निर्भर हो चुका है। आज के समय में लोग अपनी कई तरह की संवेदनशील जानकारी अपने मोबाइल, कंप्यूटर अथवा क्लाउड स्टोरेज पर रखना पसंद करते है।

ऐसे में जब किसी की प्राइवेट इन्फॉर्मेशन की बात आती है या गवर्नमेंट सेक्टर की कोई इन्फॉर्मेशन की तो वे कितनी महत्वपूर्ण है ये तो शायद सभी लोग जानते होंगे, हमारी प्राइवेट जानकारियों में बहुत ऐसी जानकारियां होती है जो हमारे लिए संवेदनशील होती है जिसे हम किसी दूसरों के साथ शेयर नहीं कर सकते और यदि वे किसी के हाथ लग जाये तो बहुत ही बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है। ऐसा ही कुछ गवर्नमेंट सेक्टर की जानकारियों के साथ भी होता है हमारी गवर्नमेंट सेक्टर में भी बहुत सारी ऐसी जानकारियां होती है जो गुप्त होती है जो किसी के साथ शेयर नहीं किया जा सकता है और यदि वे किसी के हाथ लग जाये तो समस्याएं उत्पन्न हो सकती है इसलिए ऐसी जानकारियों को प्राइवेसी के साथ रखना जरूरी होता है।

आज आये दिन हमलोगों को न्यूज़ के माध्यम से साइबर क्राइम से जुड़े मामले जैसे- किसी की निजी डेटा चोरी, बैंकिंग फ्रॉड का शिकार, गवर्नमेंट साइट हैकिंग, कंप्यूटर वायरस अटैक, सेक्सटॉर्शन का शिकार इत्यादि के बारे में सुनने को मिलता है, जो ऑनलाइन ही इंटरनेट के माध्यम से किया जाता है जो एक साइबर क्राइम है। पर क्या आपको अभी तक पता है कि Cyber Crime क्या होता है और इससे बचने के क्या उपाय है? अगर हां तो बहुत अच्छी बात है नहीं तो अभी आप जानने वाले है क्योंकि आज हमलोग इस आर्टिकल में साइबर क्राइम से जुड़े कई तरह के मुद्दों पर चर्चा करने जा रहे है इसलिए आपसे आग्रह है कि पूरी आर्टिकल को ध्यानपूर्वक पढ़ें….

साइबर क्राइम क्या है? Cyber Crime kya hai?

Cyber Crime kya hai?

साइबर जिसका मतलब होता है इंटरनेट और इंटरनेट से जुड़ी चीजें जैसे- कंप्यूटर, मोबाइल, सॉफ्टवेयर आदि और क्राइम जो एक अंग्रेजी शब्द है जिसका हिंदी मतलब होता है अपराध, इस प्रकार साइबर क्राइम का पूरा मतलब होता है इंटरनेट और इंटरनेट से जुड़ी चीजें के माध्यम से हो रही अपराध।

ऐसे में साइबर क्राइम के बारे में इस प्रकार कह सकते है कि वैसा अपराध जो इंटरनेट और इंटरनेट से जुड़ी चीजों के माध्यम से हो रहा हो उसे साइबर क्राइम कहा जाता है और जो लोग ऐसा क्राइम करते हैं उसे साइबर क्रिमिनल कहा जाता है।

जिस प्रकार कोई क्रिमिनल या कहें तो अपराधी फिजिकली कहीं से कहीं जाकर किसी अपराध को अंजाम देकर लोगों अथवा देश को हानि पहुंचता है ठीक उसी प्रकार Cyber Space अर्थात इंटरनेट की दुनियां में भी कुछ लोग सिक्योरिटी भंग करके अनधिकृत रूप से हैकिंग, ऑनलाइन ठगी, प्राइवेसी लीक, साइबरबुलिंग जैसे अपराध को अंजाम देकर लोगों अथवा देश को हानि पहुंचाते हैं, हालांकि साइबर स्पेस में की जानेवाली अपराध को अपराधी फिजिकली कहीं जाकर अपराध नहीं करते है बल्कि किसी एक जगह रिमोट लोकेशन में बैठकर ही इंटरनेट के माध्यम से दुनियां के किसी भी जगह अपराध को अंजाम देते है जिसमे कोई एक ही नहीं बल्कि अनेकों अपराधी शामिल हो सकते है।

साइबर क्रिमिनल कोई साधारण व्यक्ति नहीं होता है बल्कि वह एक Cyber Expert होता है जिसके पास उतनी निपुणता होती है कि वे किसी के कंप्यूटर नेटवर्क, वेबसाइट, सॉफ्टवेयर में कोई रास्ता ढूंढकर वहां तक पहुंच सके और वहां मौजूद कोई संवेदनशील जानकारी चुरा सके, जानकारियों में फेरबदल कर सके, जानकारी हटा सके इत्यादि। ऐसे ही कार्य करनेवालों लोगों को हैकर भी कहा जाता है। हालांकि हैकर तीन तरह के होते है:-

व्हाइट हैट हैकर (White Hat Hacker):

व्हाइट हैट हैकर वे हैकर होते है जो हमेशा अपने हैकिंग ज्ञान का बिलकुल वैध और लीगल तरीके से उपयोग करते है, ये हैकर किसी कंपनी या आर्गेनाइजेशन अथवा किसी इंडिविजुअल की परमिशन से ही उसके कंप्यूटर अथवा नेटवर्क की Security Check करते है Penetration Testing करते है और Vulnerability अर्थात कमी खोजते है फिर उस Vulnerability को दूर करते है, ये हैकर हमेशा सिस्टम की सिक्योरिटी बढ़ाने के लिए काम करते है। इनकी मनसा अवैध कार्य करना नहीं होता है, ये अच्छे हैकर होते है। ऐसे हैकर को एथिकल हैकर कहा जाता है। बड़ी-बड़ी कंपनियां और गवर्नमेंट एजेंसी एथिकल हैकर को अपनी सिस्टम में Security Check करने के लिए Hire करके रखती है जिसके लिए उन्हें मोटी पैकेज भी देती है।

ग्रे हैट हैकर (Grey Hat Hacker):

ग्रे हैट हैकर वे हैकर होते है जो अपने ज्ञान का उपयोग अपने मन के अनुकूल करते है यानि ये हैकर अपनी ज्ञान का उपयोग वैध और अवैध दोनों तरह के कार्यों के लिए करते है। वैसे इनकी सोच ज्यादातर नुकसान पहुँचाना नहीं होता है फिर भी इस श्रेणी के हैकर कभी-कभी नुकसान भी कर सकते है, इसलिए इस श्रेणी के हैकर को ना ही अच्छे कह सकते है ना ही बुरे कह सकते है सामान्य तौर पर कहें तो ये हैकर व्हाइट हैट हैकर और ब्लैक हैट हैकर दोनों का सम्मिलित रूप होता है। अक्सर ग्रे हैट हैकर मालिक की अनुमति या जानकारी के बिना सिस्टम में कमजोरियों की तलाश करते रहते है यदि समस्याएँ पाई जाती हैं, तो वे सिस्टम मालिक को उनकी रिपोर्ट करते है और समस्या को ठीक करने के लिए शुल्क की मांग करते है।

ब्लैक हैट हैकर (Black Hat Hacker):

ब्लैक हैट हैकर वे हैकर होते है जो अपने ज्ञान का उपयोग हमेशा अवैध कार्यों के लिए करते है, इनकी मनसा हमेशा दूसरों को नुकसान पहुँचाना होता है। ये हैकर बिना परमिशन के ही किसी भी नेटवर्क अथवा सिस्टम में अनधिकृत रूप से एक्सेस पाने की कोशिश में लगे रहते है और सिस्टम को अलग-अलग तरह के साइबर अटैक करके नुकसान पहुंचाते है तथा संवेदनशील जानकारी चुराकर उसका गलत उपयोग करते है। ज्यादातर इसी प्रकार के हैकर साइबर क्राइम में शामिल होते है।

साइबर क्राइम कितने प्रकार के होते है?

साइबर क्रिमिनल द्वारा क्राइम करने के तरीके के आधार पर साइबर क्राइम कई प्रकार के होते है, जो निम्नलिखित है:-

हैकिंग एवं अनधिकृत प्रवेश:

हैकिंग एवं अनधिकृत प्रवेश साइबर क्राइम की दुनिया में किया जाने वाला सबसे आम साइबर क्राइम है जिसमे कोई हैकर बिना सिस्टम ओनर या ऑर्गेनाइजेशन के परमिशन से उसके कंप्यूटर, नेटवर्क या वेबसाइट में बग ढूंढकर प्रवेश करते है और निजी जानकारियाँ एवं महत्वपूर्ण सीक्रेट डाटा को चुराकर वित्तीय एवं अन्य प्रकार से नुकसान पहुँचते है।

ऑनलाइन ठगी करना:

हम सभी जान रहे है की आज हमारी बैंकिंग सिस्टम पूरी तरह ऑनलाइन है जिसका इस्तेमाल हम सभी करते है ऐसे में पैसे की ठगी करने वाले भी आज ऑनलाइन ही नजर गड़ाए बैठे है। ऑनलाइन ठगी आज हमारे देश में सबसे ज्यादा किया जानेवाला साइबर क्राइम है जिसके तहत अपराधियों के द्वारा सबसे पहले फ़ोन कॉल के माध्यम से, सोशल मीडिया के माध्यम से लोटरी लगने के नाम पर अथवा बैंकिंग समस्या बताकर आपसे संवेदनशील बैंकिंग डिटेल जैसे- डेबिट कार्ड नंबर, CVV नंबर, नेट बैंकिंग पासवर्ड, OTP इत्यादि प्राप्त करने की कोशिश की जाती है, या फिर हैकिंग तकनीक के माध्यम से यूजर की बैंकिंग सम्बंधित जानकारियां इत्यादि चुराने की कोशिश जाती है फिर उस जानकारियों का इस्तेमाल करके यूजर के बैंक अकाउंट से पैसे की ठगी की जाती है।

साइबर स्टॉकिंग:

साइबर स्टॉकिंग जिसका मतलब होता है इलेक्ट्रॉनिक संचारकों के माध्यम से किसी को परेशान करना, डराना, धमकाना। इस प्रकार का साइबर क्राइम ज्यादातर सोशल मीडिया के माध्यम से किया जाता है क्योंकि हम सभी जानते है की आज ज्यादातर लोग फेसबुक, ट्विटर, इन्स्टाग्राम, व्हाट्स एप जैसी सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहता है ऐसे में साइबर अपराधियों के द्वारा किसी उदेश्य से लोगों के साथ साइबर स्टॉकिंग करके खूब परेशान किया जाता है। इसके तहत अपराधी द्वारा सोशल-मीडिया के माध्यम से धमकी भरे सन्देश भेजकर, बार-बार फ़ोन करके, अश्लील तस्वीरें भेजकर, जैसी हरकतें करके दूसरे व्यक्ति को परेशान किया जाता है जो एक प्रकार का साइबर क्राइम है।

पहचान का अनधिकृत इस्तेमाल:

किसी भी व्यक्ति की पहचान का अवैध रूप से साइबर स्पेस में उपयोग करना भी साइबर क्राइम है और ऐसा क्राइम करने के लिए अपराधी आजकल सोशल मीडिया का सहारा लें रहे है क्योंकि सोशल मीडिया पर से किसी व्यक्ति का पहचान चुराना आसान है जिसमे किसी व्यक्ति की पूरी इनफार्मेशन से साथ-साथ फोटो भी प्राप्त किया जा सकता है फिर उस पहचान इस्तेमाल करके किसी भी सोशल मीडिया पर नकली अकाउंट बनाकर किसी के साथ ठगी किया जा सकता है और साइबर क्रिमिनल ऐसा भी करते है जो एक अपराध है।

फिशिंग:

फिशिंग ईमेल के माध्यम से किया जाता है, अक्सर आपने देखा होगा की हमारे ईमेल बॉक्स में कई सारे मेल के साथ-साथ कुछ स्पैमी ईमेल भी होता है और यही फिशिंग का मुख्य कारण है। फिशिंग के तहत साइबर क्रिमिनल द्वारा यूजर को स्पैम ईमेल भेजी जाती है जिसके अन्दर लिंक या अटैचमेंट फाइल भी दिया गया होता है और यही लिंक या अटैचमेंट फाइल किसी के साथ क्राइम करने का जरिया होता है क्योंकि जैसे ही आप उस पर क्लिक करते है तो आपके सिस्टम में कोई छोटी से सॉफ्टवेयर डाउनलोड हो जाता है जो बाद में आपकी डाटा चुराने के जरिया बनता है या सीधे ही आपके सिस्टम को हैक कर लिया जाता है। साथ ही फिशिंग के उदेश्य से आने वाले ईमेल में लालच के साथ आपको स्पैम वेबसाइट का लिंक भी दिया जा सकता है जिस पर आपको अपनी जानकारियां भरने को कहा जा सकता है और जैसे ही आप अपनी निजी एवं बैंकिंग सम्बंधित जानकारियां भरते है तो वे जानकारिय उस साइबर क्रिमिनल के पास चला जाता है जिसके बाद वे उसका गलत इस्तेमाल करके आपको आर्थिक हानि पहुंचाते है और आप फिशिंग का शिकार हो जाते है।

वायरस सॉफ्टवेयर का प्रसार करके सिस्टम हैक करना:

हम सभी अपने कंप्यूटर में किसी सॉफ्टवेयर को यूज़ करने के उदेश्य से इनस्टॉल करने के लिए सबसे पहले उस सॉफ्टवेयर को इन्टरनेट पर ही ढूंढते है क्योंकि वहां बहुत सारे थर्ड पार्टी साईट हमारे जैसे लोगों के लिए सॉफ्टवेयर का भंडार लगाये बैठे है जो बहुत सारे पेड सॉफ्टवेयर भी फ्री में प्रोवाइड कराते है और इसी सोच का फायदा साइबर क्रिमिनल उठाते है। हम सभी जानते है की कंप्यूटर वायरस कोई खास चीज नहीं बल्कि एक विशेष प्रकार का प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर ही होता है जो की किसी दुसरे सिस्टम में जाकर उसके डाटा को चुरा सकता है या नष्ट कर सकता है। ऐसे में यदि उस प्रोग्राम को किसी सॉफ्टवेयर में ही एम्बेड कर दिया जाय तो शायद जिस सिस्टम में उस सॉफ्टवेयर को इनस्टॉल किया जाए उस सिस्टम में सॉफ्टवेयर के साथ-साथ वे वायरस भी चला जाए और होता भी यही है साइबर क्रिमिनल द्वारा बहुत सारे उपयोगी सॉफ्टवेयर को एडिट करके उसके अन्दर वायरस वाले प्रोग्राम को एम्बेड कर दिया जाता है या छोटे-छोटे इंटरनेट ब्राउज़र के समान सॉफ्टवेयर बनाया जाता है और इन्टरनेट पर रख दिया जाता है, जब कोई यूजर उस सॉफ्टवेयर को इन्टरनेट पर से डाउनलोड करके अपने कंप्यूटर में इनस्टॉल करता है तो उसमे उस सॉफ्टवेयर के साथ-साथ वे कंप्यूटर वायरस वाले प्रोग्राम भी इनस्टॉल हो जाते है जो हमारे सामने तो दिखाई नहीं देते है बल्कि हमेशा बैकग्राउंड में रन हो रहे होते है जो ऑनलाइन रहने के दौरान उस सिस्टम को हैकर के साथ कम्यूनिकेट कराने में मदद करता है और यदि हैकर उसमे सफल हो जाता है तो जो चाहे वे कर सकते है।

साइबर बुलिंग:

साइबर-बुलिंग जिसका अर्थ होता है सोशल मीडिया या किसी अन्य प्लेटफार्म के माध्यम से लोगों को परेशान करना या उसकी अभद्र आलोचना करना जो थोडा बहुत साइबर स्टॉकिंग से मिलता जुलता क्राइम है। इसके तहत अपराधी द्वारा किसी के आत्मसम्मान को ठेंस पहुँचाने के उदेश्य से उसके सोशल हैंडल पर अभद्र आलोचना करके, नकारात्मक, हानिकारक, झूठी या मतलबी सामग्री पोस्ट करके या उसकी इमेज चुराकर पोर्नोग्राफिकल कंटेंट में जोड़कर शेयर करके उसे परेशान करने की कोशिश किया जाता है जो एक साइबर क्राइम है और ऐसे साइबर क्राइम को साइबर बुलिंग कहा जाता है।

डेनायल-ऑफ-सर्विस (DoS) अटैक:

डेनायल-ऑफ-सर्विस अटैक किसी वेबसाइट को स्लो करने का एक हैकिंग मेथड है, इसमें हैकर के द्वारा एक ही कंप्यूटर पर बैठे-बैठे एक समय में टार्गेटेड वेबसाइट पर बोट के द्वारा लिमिट से ज्यादा ट्राफिक को भेजकर यानि रिक्वेस्ट भेजकर साईट डाउन कर दिया जाता है जिससे उसे वेबसाइट पर कोई अन्य विजिटर विजिट नहीं कर पाते है जिससे उस कंपनी का Reputation ख़राब होता है या उसके काम में बाधा उत्पन्न होती है।

अब बात आती है की इससे हैकर को क्या फायदा होता है तो हैकर के द्वारा ऐसे तरीके को अपनाकर कभी-कभी बड़ी-बड़ी कंपनियों से फिरोती की मांग करता है ताकि साईट डाउन होनेपर काम में होनेवाले बाधा से बचने के लिए वो कंपनियां उसे पैसे दे दे, या फिर हैकर इस अटैक के माध्यम से उसकी साईट हैक करने की कोशिश करता है, यही उनकी मनसा होती है।

SQL इंजेक्शन अटैक:

SQL जिसका फुल फॉर्म होता है Structured Query Language यह एक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है जिसका उपयोग Website के Back End में मोजूद सभी डेटाबेस को मैनेज अर्थात Retrieve तथा Modify करने के लिए किया जाता है। परन्तु हैकर इसी SQL का इस्तेमाल वेबसाइट को हैक करने के लिए करता है। इसमें एक ऐसी Technique का इस्तेमाल किया जाता है जिसे SQL Injection कहा जाता है जो हैकर के लिए काफी कारगर है। इस Technique का इस्तेमाल करके हैकर वे वेबसाइट को टारगेट करते है जिसकी डेटाबेस SQL पर मैनेज की गयी होती है, SQL Injection तकनीक में हैकर वेबसाइट के यूजर फॉर्म में ही Malicious Code को इनपुट करके वेबसाइट के डेटाबेस में प्रवेश करने की कोशिश करते है और अगर यदि इस कार्य में वो सफल हो जाते है तो वेबसाइट हैक कर लिया जाता है।

इन सारे साइबर क्राइम के अतिरिक्त सॉफ्टवेयर पायरेसी, साइबर स्पाइंग, कंटेंट चोरी करना, चाइल्ड पोर्नोग्राफी, पोर्नोग्राफी, सेक्सटॉर्शन, ऑनलाइन जुआ खेलना, डॉक्यूमेंट्स फर्जीवाड़ा करना इत्यादि भी साइबर अपराध की श्रेणी में आता है। साधारण शब्दों में कहें तो साइबर स्पेस में की जा रही वे सारे अवैध गतिविधि जो कानूनन मान्य नहीं होता है साइबर क्राइम कहलाता है जिसके लिए कानून भी बनाये गए है।

साइबर क्राइम से बचने के उपाय?

साइबर क्राइम आज के दौर में किसी के साथ भी हो सकता है और इससे बचने का सबसे पहला और अच्छा उपाय है जागरूकता। बहुत बार ऐसा देखा गया है कि जानकारी के अभाव में बहुत से लोग साइबर क्राइम का शिकार हो गए है ऐसे में इसके प्रति लोगों की जागरूकता होना बहुत ही अनिवार्य हो गया है। ऐसे में यदि हम छोटी-छोटी सावधानियां बरतें और जागरूक रहें तो हम बहुत हद तक साइबर क्राइम होने से बच सकते है। साइबर क्राइम से बचने के कुछ जरूरी उपाय है:-
  • अपने मोबाइल और कंप्यूटर का ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) को हमेशा अपडेट रखें।
  • कंप्यूटर और मोबाइल में इस्तेमाल हो रही सॉफ्टवेयर्स/एप्लीकेशन्स को हमेशा उपडेटेड रखें।
  • हमेशा किसी अच्छे सोर्स या ऑफिसियल वेबसाइट से ही कोई सॉफ्टवेयर, डिवाइस ड्राइवर इत्यादि को डाउनलोड करके इस्तेमाल करें।
  • अपनी निजी और संवेदनशील जानकारियां साइबर स्पेस में हमेशा सुरक्षित स्थानों पर ही रखें।
  • घर से बाहर कहीं भी अपनी किसी भी अकाउंट में लॉग इन करने के लिए पासवर्ड, OTP इस्तेमाल करने से पहले आप आश्वस्त हो जाएँ की आप CCTV कैमरे और किसी व्यक्ति के नजर में नहीं हो या फिर घर से बाहर लॉग इन करने से बचें।
  • इंटरनेट एक्सेस के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरणों पर हमेशा एंटीवायरस का उपयोग करें और उन्हें अपडेटेड रखें।
  • केवल वैध वेबसाइटों तक पहुँचने के लिए वेब ब्राउज़िंग रेलिंग सेट करें।
  • अपने किसी भी सोशल मीडिया के एकाउंट का या किसी अन्य एकाउंट का पासवर्ड मजबूत रखें और उन्हें बीच-बीच में बदलते रहें।
  • अलग-अलग प्लेटफॉर्म के लिए कभी भी एक ही पासवर्ड का इस्तेमाल नहीं करें।
  • स्पैम ईमेल में अटैचमेंट/यूआरएल खोलने से बचें।
  • ऐसे लिंक न खोलें जिनका सोर्स अज्ञात हो।
  • संदिग्ध संदेश/ईमेल के मामले में सीधे स्रोत से संपर्क करने की कोशिश करें।
  • बैंक खाते की शेष राशि और गतिविधियों से हमेशा अवगत रहें और मेसेजिंग सिस्टम हमेशा एक्टिव रखें।
  • फ़ोन कॉल पर या सोशल मीडिया के माध्यम से संवेदनशील बैंकिंग डिटेल जैसे पासवर्ड, ओटीपी, डेबिट कार्ड नंबर, CVV नंबर आदि एक दूसरों के साथ शेयर ना करें।
  • डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड चोरी या गुम होने पर तुरंत ही ब्लॉक करें।
  • नेट बैंकिंग का इस्तेमाल हमेशा विश्वसनीय ब्राउज़र पर ही करें।
  • बाहरी वाई फाई नेटवर्क जो सुरक्षित नहीं हो उसपर नेट बैंकिंग का इस्तेमाल करने से बचें।
  • यात्राओं के दोरान किसी अन्य व्यक्तियों को अपने लैपटॉप से मोबाइल कनेक्ट करने की अनुमति नहीं दे।
  • घर से बाहर कहीं भी मोजूद मोबाइल चार्जिंग स्टेशन पर सीधे USB चार्जिंग पोर्ट का इस्तेमाल करने के बजाय हमेशा अपना मोबाइल चार्जर लगाकर ही मोबाइल चार्ज करें।
  • जब कोई आपको अनजान नंबर से विडियो कॉल करके आपको लुभाने की कोशिश करता है या अभद्रता करने की कोशिश करता है तो उसे कतई भी स्वीकार ना करें, आपके साथ सेक्सटॉर्शन किया जा सकता है।
  • जब आपके साथ दुर्भाग्यवश कोई साइबर क्राइम कर लेता है, तो बिना देर किए उसकी शिकायत दर्ज करें।

साइबर क्राइम से जुड़े कानून?

हम सभी जान रहें है की इन्टरनेट और इन्टरनेट से जुडी चीजें आज की जरुरत है इसे कम नहीं किया जा सकता है या इसे नाकारा नहीं जा सकता है, ऐसे में जब चीजें है तो समस्याएँ भी उत्पन्न होगी, जब फिजिकल वर्ल्ड में अपराध हो सकता है तो जाहिर सी बात है की वर्चुअल वर्ल्ड में भी अपराध हो सकता है और हो भी रहा है। इन्ही समस्याओं को देखते हुए वर्चुअल वर्ल्ड में भी होनेवाले अपराध को रोकने के लिहाज हर देश में अलग-अलग साइबर कानून बनाये गए है। भारत में भी साइबर अपराध को रोकने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (Information Technology Act, 2000) बनाये गए है। साइबर कानून के तहत सरकार यह नियंत्रित करती है कि कोई भी व्यक्ति इंटरनेट का प्रयोग किसी गलत काम के लिए तो नही कर रहा है। साथ ही भारतीय साइबर कानून यह तय करता है की आपको इस साइबर स्पेस में क्या क्या करने की आजादी है और क्या करना अपराध है जिससे बचना चाहिए।

भारत में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (Information Technology Act, 2000) में इंटरनेट और कंप्यूटर से जुड़ी हुई चीजों के लिए भारत में अधिनियमित एक महत्वपूर्ण अधिनियम है जिसमे हो रही साइबर अपराध और अलग-अलग तरह से होनेवाली साइबर अपराध के आधार पर जुडी धाराओं का उल्लेख किया गया है जिसके तहत अलग-अलग सजा, जुर्माना, दंड का प्रावधान है।

इन्हें भी देखें:→

निष्कर्ष:
फ्रेंड हमें उम्मीद है की हमारे द्वारा साइबर क्राइम से जुडी दी गयी जानकारी को पढने के बाद आप जान गए होंगे की साइबर क्राइम क्या होता है, कितने तरह के होते है और हम कोन-कोन सी सावधानी बरतें जिससे साइबर क्राइम होने से बच सकते है। फिर भी किसी प्रकार की कोई कंफ्यूजन रह गयी हो तो कमेंट के माध्यम से बेझिझक पूछ सकते है। यह आर्टिकल आपको कैसी लगी इसकी फीडबैक कमेंट के माध्यम से जरुर दें क्योंकि आपकी फीडबैक के आधार पर ही आपके द्वारा पढ़े जा रहे आर्टिकल की गुणवत्ता तय होती है। साथ ही अगर यदि यह आर्टिकल आपको पसंद आई हो तो अपने फ्रेंड सर्किल में अधिक से अधिक शेयर करे। इसी प्रकार की कंप्यूटर, टेक्नोलॉजी, डिजिटल अवेयरनेस इत्यादि से सम्बंधित आर्टिकल पढ़ते रहने के लिए Comtechinhindi.IN से जुड़े रहें….धन्यवाद!

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